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४४१ अमृतसागर नथापनापसागरतरंग १८ मसंरव्यालि• गलाकाअारारोगछे पांचप्रकारकातोरोहिणी वायकी पित्तकीर कफकीसन्निपातकी४ लोहीकी ५कंठसालू क६ अधिजिव्हा ७ वलयान् अलास९एकदंद१० इंद११ शत प्रारगिलयु१३ गलविधी१४ गलौघा५स्वरना मांसतांन१७ विदारी१८ अथवायकारोहिणीकोलक्षएलिसारीजीभमें घापीडहोय अरजीभेमेंसारैमासकांअंकरनीसरिआवेअर वासुकंठरुकिजाय अरवायकासर्वउपदवहोजाय ईनवायकी रोहिणीकहिजे १ अथपित्तकारोहिणीकोलक्षरालिजीको गलोपकिजाय अरगलामैंदाहहोय अरजुरपणीहोय ईनेपिनकारोहिणीकहिजै २ अथकफकीरोहिणीकोलक्षगलि. जीकागलाकासोतकफ रुकिजाय अरगोलोमोडोपकै अरग लोभास्योहोय ईनेंकफकारोहिणीकहिजे अथसन्निपातकी रोहिणीकोलक्षरालि ओंडोजीकोपाकहोय अरकोवार्य हारहोयनहींजतना भीअरजीमैसर्वलक्षामिले वात्रिदो षकारोहिणीजाणिजे ४ अथलोहीकारोहिणीकोलक्षालिए जीकागलामैफोडोहोयादै अरज्यांमैपित्तकालक्षामिले ती मेंलोहीकारोहिणीकहिजे ५ अथकंठसालूककोलक्षरालि. जीकागलामेंबोरकीमांगीप्रमाागांरिहोय अरगलामैषरधरा २ कांसंपडिजाय परांठेपीडभीहोय तीनकंठसालूककहिजै ५ अथअधिजिव्हारोगकोलक्षगलि जानाजीभाभीके उपरीसोजोहोय अरलोहीनैलीयांकफनैथूकै अरजीभकफलाही संपालीरहै ईनअधिजिव्हारोगकहिजै ७ अथबलयरोगकोलक्ष रालि जीकागलामेंकफवधै पाछैओगलामेसीजानेकरै अन्माउंगे
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