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३६० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग मैं पीडा होय फूटैवेगो पके वेगो सवैवेगो तिसहोय फोडाकोपी लोलालवर्णहोय येलक्ष पाहोयतौपित्तकोविस्फोटक कहिजे २ अथकफकाविस्फोटककोलक्षएालिष्यते छर्दिहोय रु चिहोय मोडोपकै तीनै कफकोविस्फोटकजाणिजे३ अथवा तपित्तकाविस्फोटककोलक्षणलिप्यते घणी पीडाहोय अरवातपित्तकालक्षणमिलताहोय तीनैवायपित्तको विस्फो टकजाणिजे ४ अथवायकफकाविस्फोटककोलक्षण लिष्यते सरीरभाग्यौहोय बुजालिचालैतोकफकोजानियें ५ अथपित्तकफकाविस्फोटकको लक्षगलिष्यते वाजिमा वै वेंमँदाह होय जुरहोय छादणी होयतो कफपित्तकोजाणिजे ६ अथसन्निपातका विस्फोटककोलक्षणलिष्यते फोडा कौपीचिषाडोहोय अरूंचोमीहोय अरफोडोगादोहोय थोडो पकै फोडामैंदाहूहोय ललाईघणीहोय तिसहोय मोहहय छर्दिहोय मूहूर्छाहोय फोडामैंपीडहोय जुरहोय प्रलापहोय सरीरकांपे लक्षगहोयतींनैसन्निपातको विस्फोटक कहिजे योमसाध्यछै७ अथलोही का विस्फोटककोलक्षणलि• जीमपित्तकाफोडकासर्वलक्षणहोय फोडाको चिरमीसिरीसो वर्णहोय जीमेलोहीनीसरे जीयेंदाहहोय योजतनसुंभीच्या ज्यौनहीं होय - प्रथविस्फोटककाउपद्रवलिष्यते तिस होय स्वासहोय मांसकोसंकोच होय दाहाहोय हिचकीच लै जुरहोय फोडाफेलिजाय मर्मस्थानमें ईकाउपद्रवछे ९ अथविस्फोटककोसाध्यमसाध्यलक्षएालिष्यते एकदोष कोसाध्य दोयदोषकोकष्टसाध्यत्रिदोषकोच्यरधणांजी मेंउप
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