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३३३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग रसधानमेंप्राप्तिहु वोकोढजाणिजे? अथरुधि मेंप्राप्तह वोजो aterialलक्षएालिष्यते जी पाजिमावे अरराधिनीसरे 'तदिजाणिजे लोही में प्राप्तहुवोकोट २ अथमांसमें प्राप्तहुवो arcisोलक्षणलिप्यते श्रकोट पुष्टपणोंहोय अरमूदोघ लोसूकै अरफुणस्यांकठोरहोय अरवापीडहोय येलसगहो पनौमांसमै प्राप्तहुवोकोटजाणिजे ३ प्रथमेंद में प्राप्तहुवोजोकोटतांकोलाएरालिष्यते हाथ कोनांसहोयजाय कुरुणी आयर चाल्पोजायनहीं सर्वांगटूटिवालागिजाय थोडीचोट सरवत्र फैलिजाय मूंढोसूकै फुलस्यांकठोर होय अरवामपीडाहो ययेजीमेल क्षणहोय तीनेंमंद में प्राप्तहुवोकोटजाणिजे ४ अथ हाडच्चरमांजी मैं प्राप्तहुवोजोकोटती कोल क्षणलिप्यते नांकगलिजाय नेत्रलालहोजाय परवांणामैकमी पडिजा य कंठको स्वरघांघो होजाय परवणामेपीडहोय नदिजाणिजे हाडमैं अरमीजीमैप्राप्तहुवोकोढलै ६ अथवीर्य मैं प्राप्तहुवो जोकोदतीकोलक्षणलिष्यते नीका मातापिताकावीर्य में कोकोदोसणहोय वांकाहुबाजोबेटाबेटीसोभाकोटीही होय ७ अथकोटकोसाध्यासाध्यलक्षरालिष्यते कोटना यकफकोहोय परत्वचालोही मांसमैंरहतोय सोनोसाध्यजा पिंजे परकोटमे दमैं जायप्राप्तहोय मरोयदोसको होय सोजाप्यजाणिजे अरकोटमांजी में जायमाप्तिहोय रमिपि जाय राहहोयन्यावै परमंदाग्निहोयजाय परनिदोसको होयसोकोटत्र्यसाध्यजाणिजे श्ररभुमेंप्राप्तिहुबोजोकोट सोभाअसाध्यजाणिजे? अथकोटकोमसाध्यलक्षणयो
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