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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३२८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग घुभोजनांमूंसकरोगजाय४ अथवा त्रिफलाकाकाटा गूगल षायतो सूकरोगजाय५ आडीऔषयांकालेपासूं सेकवा सू करोगजाय सातजननां सूकरोगजाय ७ अथवा दार हलदतुलसी महलोगधूमसो यांमैंनेलनांषिपकावै येोष दिसाजिजाय नदिनेलकोमर्दनकरैनीसूकरोगजाय९ अ थवा परेंगंकोनेलकरिके मर्दनकरैतीसूकरोगजाया ये सर्वसंग्रहमैलिष्याछै इनिस्करोगकाउत्पत्तिलक्षण जननसंपूर्णस् अथकुष्टकहीजैकोटकाउत्पत्तिलक्ष राजतनलिष्यते विरुडअन्नपानकापावापीबासू पतली चाकणिभारियेजोवस्तत्यांकापावासू वमनकावेगकारोकि वासं मलमूत्रकायेगकारोकीवा घाअग्निकातपिवासूप पाभोजनकारिपाइं सातउष्णकानहींगिरावा तावडा कारहवासू श्रमकाकरिवा भयकालागिवासं परतावडाभ यभमयां डुषाहुबोजोपुरस अरततकालयांऊपरिसीतलपां एपीवेतीकारासंबरअजीमैंभोजनकरेजी अरवमन जुलाव.आदिलेरज्यांमेंकुपथ्यकरैज्यांसूं नवीनजलकापी वासू दहीमछलीषावासू पणालाकाषावा घणीपटाई काषावासं अरउरद मूली पास्योअन्नतिल हलदराड यांका घलाषावासू दिनकासोवासूं ब्राम्हराकासराप औरअनेक प्रकारकायणाषावा पणास्त्रीसंग औरअनेकप्रकारका पापांकरिवाएं मनुस्यांके वायपित्तकफहेसो इष्टहुवाथका रसावूधातडष्टहईथकावेंकासरीरकालोहीनें मांसने का सरीरकाजलनैपूसितकरै अरअडारा-प्रकारकाकोदामैं For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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