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२९६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ मैत्रलाहोयजीकै इतनांपुरसांकेबलहेसोकष्ट आयोहोय। अथपुनःबकोअसाथ्यलक्षगलिष्यतेवरणमैमाहिप लोदोहहोय अरबवारांसूसीनलहोय अरपुरसकासरी रकोमांसलोहोजातोरत्योहोय अरसासषासअरुचि येजीके होजाय अरोचूटोहोय अरबमैंलोहाराधिनासरियोकरै अरोमर्मस्थानमेंहोय इसाबरायाध्यानहींहोय सोय वेंकोजतनकरैनहीं आपकोजसचाहेतोयेवायपित्तकफयांदो सांकागकालक्षणकन्या१ अथागंतुकबकहिजे तरवारिनेत्रादिलेरजोसस्त्रादिकांकालागिपासूउपज्या जोयावतीनेबगसंज्ञाकहिजेछै त्यांकी उत्पत्तिलक्षएलि. तरवारिसेल नार हरी गोलीबाण फरसीउगैरेकहींकाईपु रसकै कैठेहीसरीरमैलागेनीकालागिवा पुरसके वांबणाकानामंधांवांकीनानापकारकीग्राकृतिहोय. सोवापानि पुष्यप्रकारकोछ सोहूंलिपूंछ.छिन्न भिन्न विद्यक्ष त४पिचित ५ दृष्ट ५ अथछिन्नेबकोलक्षालिष्यते जोपुरषतरवारिनादिलेरशस्त्रकरिकैरेटोकट्योहोय अ थवा सूयौकख्योहोयजोश्रोधाचवरोहाय अरमनुष्यकांसरी र पृथ्वीरपरिनांषिदेनीनैवेद्यहेसोछिन्नबएकहेछ। थभिन्नबराकोलक्षणालिष्यतेवरछी सेल नीर छुरीनर वारिबादिलेरयांकाजीकैलागेतीलागिवाकरिकोठोकहीं तरेकटीजाय तीकोठाकरिवाकर वेंकोलोहीचलेतदियोलो हीकरिउदरभरिजाय नदिनोलोहि भस्पोजोउदरजुर.दाहने पैदाकरेंछे पालैप्रोलोहीइंडीद्वारा गुदाहारामूदाय
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