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२५० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १२ पडाहोय अरपीडिपीछेहोप अरबाउदर#होय नविहिताकहि जे४ अथअलजीकोलक्षालिष्यतेजोवारासीलालहोय का लाहोयरहोतफाटे पीडघणीहोयनेचरजीकहिजे५ अथम सूरिकाकोलक्षणलिष्यने जोफरासीमसरकेप्रमाराहोय अर मसूरकोसोरंगहोयने मसूरिकाकहिजे अथसर्षपाकाको लक्षगलिष्यतेजोफणसीसरस्यूंप्रमाणहोय सरयूंकारंगसि रासोरंगहोयतीनेसर्पपिकाकहिने ७ अथपुत्राणिकोलक्षण लिष्यतेजोफुसीऊठतीहीबडीररीतीनेपुषिणी कहिजेथ थविदारिकाकोलक्षालिष्यनेमोफशसीविदारीकंदमिरीसी गोलहोय अरकरडीहोय अरउसोहारंगहोयतीनेंविदारिकाकहि जे९ अथविर्धाकोलक्षालिष्यते विरारोगपछै प्रकार कोछैनोंकोलक्षणआगेलिषस्यांसोईठेजापिलीज्यो यदस १० पिरिका, सोप्रमेहवालारोगीकैहोयछे त्यांहीकारणांसूपुरुषां कोपारिकादसहोय अरज्यांपुरुषांकेसरीरमेंमेदइष्टहुयोछै त्यां केप्रमेहधिनांभीयेदसा पिडिकाहोयछे अथदस.पिडिका काउपालिष्यतेनिस पासी मांसमोसंकोच मोह हिचकी मद जुर पिसर्प मर्मकोरोकिनो येयांकाउपवळे अथाषिटिकाका असाध्यलक्षालिष्यते यदाकै हायाकै मस्तगकै कांधोकै मर्मस्था नकै मंदाग्विालाके यांस्थानांमऊरासीहोय तीने असाध्यकहिजे केईकराचार्याकोमतछे स्वीपमेहकोरोगहोयनहीं पास्त्रीह सोमहीनांकीमहीनेवीधर्महोय, तीसेतीस्त्रीकासरीरकासारा रोगजातारहेछ अथप्रमेहजातोरत्योहोयनीकोलसलिष्यने जीको ननिर्मलहोजाय अरपनलोपाणासिरीसोहोजाय अरमूं
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