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२४८ अमृतसागर तथापनापसागर नरंग १२ कोलक्षणलिष्यते कसायलोजांणूनहोय सहतसिरीसोजी कोमूतमीठोहोय अरलूषोमूतहोय तीनेक्षीदप्रमेहकहिजे ४ यांपुरषांकैकोई प्रमेहहवाछै अरपुरषजननकरेंनहींधरप्रमे हानेदिनघणालागजाय परवेंपुरसकुपथ्यकरपोकरैतदिनांपुरषां कैमधुप्रमेहहोजाय येमधुप्रमेहअसाध्य. अथकफकापसे हकाउपद्रवलिष्यते अन्नपचेंनहीं भोजनमैंअरुचिहोय छा दगाहोय नांदघणीना पासीहोय पानसहोय येकफकाप्रमे हकाउपद्रवलिष्याछै अथपित्तकाप्रमेहकाउपपलिष्यते॥ पेडूमेंइंद्रीमेंसूतहोय पोताफाटलागीजायजुरहोयाबदा हहोय तिसहोय पाराडकारावै मूर्जाहोय अतीसारहोय ये पित्तकाप्रमेहकउपद्रवछै अथवायकाप्रमेहकाउपलिय
जामेंदावनकोरोगहोया सरीरकांपै हियोडूषै सर्वरस काषायाकीइछारहै पेटमैंशूलचाले नींदावनहीं सरीरसूजि. जाय पासीहोय सासहोय येवायकाप्रमेहकाउपदवछै अथ प्रमेहकोअसाध्यलक्षएलिप्यते वायपित्तकफकाजोपमेह . छै गांउपद्रयांसूयुक्तजीपुरषकैजोप्रमेहहोयसोपुरषअसा ध्यजाणिजे वोपुरषमरिजाय परप्रमेहकीदसपिडिकाकाहजै छै तीपारकासंयुक्तजोपुरषहोय सोपुरषमरिजाय यांउपदगांसं. युक्तहोयतो अथपात्रेयकामतकाप्रमेहएत्यांकानाम अरलक्षएलिष्यते पूयप्रमेहा तक्रप्रमेह पिडिकाप्रमह३ सर्कराप्रमेह ४धनप्रमेह अनिमूत्रप्रमेह अथपूयप्रमेहको लक्षालिष्यतेजाकामूतमेराधिप अरराधिकोसीयेमैसा नानपूयप्रमेहकहिजे अथतकप्रमेहकोलक्षगलिष्यने
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