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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग पेटमें पीडरहे अरसंधिसंधी मेंपीडर है चित्तस्वस्थिर रहनहीं येल क्षण होयतौ क्षेत्रपालकोदोसजाणिजे अथबीजासणिकादो ससूंउपज्योजोउन्मादतीकोलक्षएलिष्यते पप्पाघातहोय सरीरपररुधिरसुसिजाय मुषपगवां काहोजाय सरीरषीणहोजा य स्मरणादिकजातोरहै ये लक्षण होयतो बीजासणको दोसजालि जै९ अथकामणकादोससंडुपज्योजोउन्मादती कोलक्षण लिष्यते कांधोमांथोभास्योहोय मनथिरर हैनहीं सर्वांगसी एहोजाय नासिकामैंने चामैं हाथामै पगामैंदाह होय वीर्य कोनास होय सरीरकात्र्याऊंपंगांमेसुईकासाचभकाचालि बोकरे सरीरस् किजाय येलक्षणहीयतो काम कादोसकोउन्मादजाणिजे १० अथशाकिनीडाकिनीला गिवासूं उपज्योजोउन्मादतीकोल क्षणलिप्यते सारा गंगामेंपीडाहोय नेत्रघणाहुषे मूर्छाहोय स शर कांपे रोवैवकै भोजन में रुचिहोय हसैस्वरभंगहोय सरीर कोबलम्परभूषजातीरहै भौली होय जुरभीहोय येलक्षणजीमै हो यतौशाकिनीडाकिनी कोटोसजाणिजे ११ प्रथषोटीगतिसूंमू वाजो मनुष्यवैषेत होयतीउपज्योजोउन्मादती कोलक्षण लिष्यते संचारै धरमै कठिऊठिभागे षोटावचन काटै बहुतव कैं सरीरकांपैरोवे बाचे पीवेनहीं बुरातरैसास लेबोकरै मनमैं यासोपाचे लक्ष होयतो प्रेत को दो सजाणिजे १२ अथजी कासरीरमेराक्षसलाग्यो होयतींसूंउपज्योजो उन्मादतीकोलक्षणलिष्यते मांसकाषावामैं मरलोही कापीवामैजांकी रुचिरहै परदारुकापीवामैरुचिरहै अरनिलजघणोरहे घणो दुष्टपणांसूबोलै घणौसुरापः पोजीनेचदिजाय को जीनेयणो
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