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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir mom आकृति-निदान क्या है ४५ लगभग अन्धे हो गये थे। उनके सिरपर बहुतसी गांठे पड़ी हुई यीं । जो हर साल बढ़ती जा रही थीं। उन्होंने मेरे चिकित्सालयमें इलाज कराना प्रारम्भ किया, जिससे उनके दोनों शरीरकी जीवनी-शक्ति बहुत ज्यादा बढ़ गयो। उनके दोनों गालोंपर बड़े. बड़े फोड़े पैदा हो गये और उनसे बहुत सी पीब निकलने लगी। इसके साथ ही साथ उनकी आँखोंकी हालत बहुत सुधर गयी और थोड़े ही दिनों में वे फिर बिलकुल अच्छी तरहसे देखने लगे। उनकी नजरकी कमजोरी भी जाती रही। ___ बीस वर्षकी उम्रके एक नवयुवकके चेहरे और हाथोंपर बहुतसे मसे थे। गरमीके दिनोंमें उसे खुली हवामें रहनेका बहुत ज्यादा मौका मिला। इस तरहसे उसका बदन मजबूत हो गया और बिना कोई इलाज किये हुए उसकी दशा सुधरने लगी। एक बड़ा भारी फोड़ा उसके एक हाथ में निकला और कई अठवारेतक उस फोड़ेसे पीब बहती रही। उस रोगीको और उसके मित्रोंको यह देखकर बड़ा अचम्भा हुआ कि उसके हाथ और चेहरेपरके मसे भाप ही आप गायब हो गये। उस भादमीकी देहने मानों अपनी चिकित्सा भाप ही करनी भारम्भ की। इस तरहकी शक्ति बहुत कम देखने में आयी है। कोढ़ भी बहुतसी बातों में फेफड़ेवाले क्षय रोगके समान है। कोद गरम देशों में बहुत अधिक पाया जाता है, बहुत ज्यादा बादीपनका नतीजा है और प्राय: किसी दूसरी बीमारीसे पैदा होता है। यह विशेषकर तब पैदा होता है जब बुखार और गरमीका For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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