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सम्पादकका वक्तव्य प्राकृति-निदानका मूलरूप जर्मन है, उसके अंग्रेजी अनुवादका मूल्य १६) है। इतना अधिक मूल्य अवश्य ही इस ग्रंथकी उपयोगिताको दुर्लभताकी सीमाके भीतर संकुचित कर देता है। स्वाभाविक चिकित्साके प्रेमियोंके हृदयमें इसकी सुलभताको इच्छा बहुत बरसोंसे है। मुरादाबादके मोतीजीके उत्साह और उद्योगका फल जो प्रकाशित हुआ उसका भी मूल्य ४) से कम नहीं रखा जा सका। अनुवाद भी यथेष्टरीत्या नहीं हो सका। कोई चार बरस हुए हिन्दी पुस्तक एजेंसीके उस समयके मालिक हमारे मित्र बाबू महावीरप्रसाद पोद्दार बल-चिकित्साके अनुयायी हुए। कलकत्तेके प्रसिद्ध मारवाड़ी खेतान बंधुषोंमें भी स्वाभाविक चिकित्साका विशेष अनराग उत्पन्न हुआ। इससे चूक लाभ देख इसके प्रति इन मित्रोंकी श्रद्धा स्वार्थसाधनाकी सीमाये निकलकर परार्थकी विस्तीर्ण परिधिमें आयी। सलाह हुई कि जलचिकित्साकी पुस्तकोंका अच्छा उल्था करके सुन्दर सुलभ संस्करण निकाले जायें। इस काममें सबसे अधिक अनुरोध और प्रोत्साहन श्री चंडीप्रसाद खेतानका था जिसके फलस्वरूप बच्चोंकी रक्षा निकली, और उसीके साथ ही आकृति निदानके अनुरागका काम हमारे मित्र पं० जनार्दन भट्टको सौंपा गया। - सम्पादन-भार मैंने
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