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आकृति निदान क्या है अभाग्यसे लोगोंके ख्यालमें यह बात बिलकुल नहीं आती कि दवाओंके जहरसे कितना ज्यादा नुकसान पहुँच सकता है ।
पैरका पसीजना बन्द हो जानेपर भी अक्सर गर्दन सूख जाती है और कभी कभी सिर में बादीपन भी पा जाता है। उसके साथ ही बहुत ही कमजोरी और दिमाकी गड़बड़ी भी पैश हो जाती है। अक्सर विजातीय द्रव्य फेफड़ा, दिल और शरीर के अन्दर दूसरे हिस्सों में चला जाता है। वास्तव में यह कहा जा सकता है कि शरीरके अन्दरवाली अधिकतर बीमारियाँ और खास करके क्षयकी बीमारी इसलिए पैदा होती है कि ऊपर लिखे हुए तरीकेसे बीमारियों के बाहरी चिह्न दबा दिये जाते हैं।
खांसी इस तरहका एक चिह्न है; क्योंकि खांसीके द्वारा जो कफ बाहर निकलता है उसके साथ बहुत सा विजातीय द्रव्य बाहर निकल जाता है। यदि औषधिद्वारा उचितसे अधिक गर्मी पहुँचानेसे या ताजी हवामें न रहनेसे कफका आना बन्द हो जाता है तो शरीरकी और खास करके फेफड़ेकी हालत पहलेसे खराब हो जाती है।
विजातीय द्रव्य सीधे खून के अन्दर जा सकता है। मामूली तरीके से घूम फिरकर जो विजातीय द्रव्य शरीरके अन्दर जाता है वह उतना नुकसान नहीं पहुँचाता जितना कि सीधे खूनके अन्दर पहुँचनेवाला विजातीय द्रव्य पहुँचाता है। सांपका काटना इस बातका एक अच्छा उदाहरण है। सांपके काटनेसे जहर सीधे खूनमें पहुँचता है। इसलिए यह जहर बड़ी ही तेजी
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