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प्राकृति निदान
जमा होता है। उसीके अनुसार बादीपन भी कई किस्मका होता है। __पेट और आंतें जब एक बार कमजोर पड़ जाती हैं और उनमें विजातीय द्रव्य व्याप जाता है तो प्राकृतिक और स्वास्थ्यकर भोजन भी ठीक-ठीक नहीं पचाया जा सकता। भली-भांति न पचा हुका समस्त भोजन विजातीय द्रव्य बन जाता है, एक बार भी सड़ा गला मल इस तरहसे इकट्ठा होना प्रारम्भ हो जानेसे फिर यह काम तेजीसे बढ़ता रहता है और शरीर में प्रायः गड़बड़ होने लगता है। इसीलिये बालकोंको अनेक रोग धर दबाते हैं । ये रोग मुख्यतः विजातीय द्रव्यको निकालनेके लिये ही होते हैं। __प्रायः विजातीय द्रव्य रोमकूपों और फेफड़ों के द्वारा ही शरीरमें प्रवेश करता है। यद्यपि ऐसा विजातीय द्रव्य बहुधा फिर बाहर निकाल दिया जाता है तथापि कुछ दशाओंमें वह शरीरके भीतर संचित होकर बादीपन पैदा करता ही है।
पाचनशक्ति अच्छी होनेसे तो शरीरमें इतनी काफी ताकत रहती है कि वह फेफड़े के द्वारा भीतर आये हुए किसी विजातीय द्रव्यको बाहर निकाल देता है पर पाचनशक्तिकी दुर्बलताएं निकालना असम्भव होता है। गंदी हवामें रहनेसे हमारे शरीरके अन्दर बिलकुल उसी तरह और उतना ही ज्यादा विजातीय द्रव्य प्रवेश करता है जितना और जिस तरह कि अप्राकृति भोजनके द्वारा शरीरके अन्दर प्रवेश करता है।
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