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आकृति निदान
मनुष्य भी यह कहते हैं कि प्रायः मनुष्योंके कुछ अंगोंमें और अंगोंकी अपेक्षा अधिक उन्नति देखने में आती है, पर वे यह नहीं जानते कि यह बात अस्वाभाविक है, क्योंकि उन्हें यह नहीं मालूम कि इस बातका कारण क्या है ।
मैंने तो ऐसे बालक देखे हैं जो सात वर्षकी उम्र में बीस वर्षवाले मनुष्यों की तरह समझकी बातें करते थे, पर बादको बड़े होने पर ऐसे बालक अपने साथियोंसे बहुत ही पीछे रहे । यही बात उन प्रतिभाशाली गानेवाले बालकों के बारे में भी कही जा सकती है जिनकी पहले तो बड़ी ख्याति रहती है पर बादको कुछ वर्ष बीतनेपर उनकी कोई याद भी नहीं करता क्योंकि उनमें उस प्रकारकी बुद्धि नहीं रहती जो अच्छा गवैया होने के लिये बहुत जरूरी है ।
नं० ५२ में पोलर नामक एक बालकका चित्र दिया गया है। उम्र के लिहाज से इस बालक में कहीं अधिक उन्नति दिखलाई पड़ती है । उसकी शारीरिक अवस्थाके बारेमें डाक्टरोंको कुछ भी विचित्रता नहीं मालूम पड़ती। वे उसे एक प्रतिभाशाली बालक समझते हैं। पर प्राकृति विज्ञानकी राय इस सम्बन्ध में भी डाक्टोंकी रायसे भिन्न है। यद्यपि इस बालककी तसवीर हमारे मतलब के मुताबिक नहीं खींची गयी है तथापि उसके उभरे हुए माथेसे हम इस बातका पता लगा सकते हैं कि आँखोंकी भोरे विजातीय द्रव्यका कितना दबाव है । इससे साफ जाहिर है कि इस बालककी पाचन शक्ति अच्छी नहीं है ।
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