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वादीपनका इलाज चाहता हूँ। बच्चोंके लिये प्राकुतिक भोजन केवल एक वस्तु है, अर्थात् माताका दूध। जिन बच्चोंको माताका दूध नहीं मिलता उनकी बड़ी हानि होती है। ऐसे बचोंके शरीर अवश्य सड़े हुए पदार्थसे लद जाते हैं और उसमें बाहीपन भा जाता है। नं०४८ माताके दूधसे पले हुए एक लड़केका चित्र है। इस बालकको उन बालकोंसे मिलाइये जो नं. ४६ और ५० के चित्रोंमें दिये गये हैं। यह दोनों बालक कृत्रिम भोजनके द्वारा पाले गये थे। दोनोंके सिर बहुत ज्यादा बड़े और पेट बहुत ज्यादा मामे की ओर निकले हुए हैं। इस तरह के प्रायः सब बालक उचित समयके पहले ही प्रौढ़ या बड़े हो जाते हैं। यह समयकी खूबी है कि आज कल इतने ज्यादा प्रतिभावना बच्चे दिखलाई पड़ते हैं। ऐसे बच्चे बहुत छोटी उम्र में ही आश्चर्य जनक बुद्धिका परिचय देते हैं। ऐसे बच्चे केवल दयाके पात्र हैं, क्योंकि कुछ समयतक वे असामान्य बुद्धिका परिचय देते रहते हैं और उनके माता पिता यह समझते हैं कि हमारा बच्चा बहुत ही बुद्धिमान होगा, पर इस तरहका कोई भी बालक बड़े होनेपर आशाके अनुकूल नहीं निलकता क्योंकि उचित समयके पहले ही प्रौढ़ हो जाना एक खराब लक्षण है। उचित समय के पहले प्रौढ़ता तभी दिखलाई पड़ती है जब दिमागको मोर विजातीय द्रव्यका अत्यन्त दबाव होनेसे मस्तिष्कमें एक प्राकृतिक परिवर्तन हो जाता है। यदि शरीर के किसी अंगमें विजातीय द्रव्य घर कर लेता है तो उसमें तेजी आ जाती है। मस्तिष्क विद्यामें निपुण
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