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की धार्मिक नीति
अकबर
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प्रस्तावना
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अकबर भारतीय इतिहास के महानतम शासकों में अपना शीर्ण स्थान रखता है । मध्यकाल में मुसलिम तलवारों की युति के मध्य सहयोग और सहानुभूति की काल लिये हुए यह सम्राट अपना वव्दितीय स्थान रखता है । मुसलिम विजेताओं की देशीय राजावी बोरे प्रजा के प्रति तीव्र क्रूरता वीर हिंसा की नीति के वीच अकबर अपनी सांसदयता के लिये प्रसिद्ध है । उसकी यह सोहार्दयता मूल रूप से धार्मिक नीति में प्रस्फुटित हुई है, जिससे वह महानता के उच्चासन पर बासीन हो सका उसक बान्तरित जिज्ञासा और वास लालसा धार्मिक सहिष्णुता स्व नवीनता का रूप लेकर मध्य युग के वशांति पूर्ण वातावरण में शांति का सन्देशा लेकर हमारे पक गई। इस वशांति पूर्ण बौर बसहिष्णुता के बीच अकबर की धार्मिक सहिष्णुता अपना निराला स्थान रखती है । इसी निरालेपन ने सहज ही मेरे जिज्ञासु मन को अपनी और आकृति किया । फलतः यह लघु प्रबन्ध आपके समदा है ।
यपि अकबरकी धार्मिक नीति यह विशेष्य अपने बाप में उपाि हेतु विशद अध्ययन की रेखाओं से परिपूरित है फिर भी लघु प्रबन्ध की परिसीमा को ध्यान में रखते हुए इसे मैंने संक्षिप्त रूप ही प्रदान - किया है ।
प्राय: मध्यकाल के अग्रगण्य इतिहासकार व विद्यार्थी सभी के समा अकबर की धार्मिक नीति अपना विशिष्ट स्थान लिये हुए दिलाई देती है और मध्यकालीन धार्मिक नीति का अध्ययन करने पर अकबर की धार्मिक नीति ही विशाल एवम् नवीन रूप लिये हुए दिखाई देती है । इस क्षेत्र में अत्याधिक विश्व रूप में कार्य हो चुका है जिसने अकबर की धार्मिक नीति में निखार ला दिया है । मेरा यह लघु प्रबन्ध भी इस
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