________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अकबर की धार्मिक नति
............ जा सकता फिर भी अपने जीवन के पूर्व में स्त्रियों के विषय में उसने अवश्य कुछ स्वतंत्रता से काम लिया और उसके अन्त: पुर में स्त्रियों की संख्या पांच हजार थी । स्त्रि सम्वन्धित और सेविकाओं की संस्था इसमें : से घटा देने पर भी उसकी बेगमो की संख्या कुछ कम न रही होगी। मि०६० वी० हैवेल का कथन है कि उसके बहुत सी स्त्रियां थीं । वह तो! यहां तक लिखता है कि मुगलों की दन्तकथाओं के अनुसार बापशाह यदि किसी भी विवाहित स्त्रि पर मुग्ध हो जाता था तो उसके पति को मजबरन तलाक देकर अपनी स्त्रि बाळाश के लिये छोड़ देनी पड़ती थी २४ कहा जाता है कि वह सुन्दर लावण्यमयी ललना की प्राप्ति के लिये। रामल में प्रति सप्ताह मीना बाजार का वायोजन करता था, जिसमें ! केवल महिलाएं ही भाग ले सकती थीं । बीकानेर में पृथ्वीराज राठौर की पत्नि से सम्बन्धित किंवदंतियां पी है, जिसमें उसने अपने सतीत्व बार मान रसा के लिये कटार निकाली थीं। परन्तु अभी तक ऐसे कोई . लिखित प्रमाण उपलव्य नहीं हुए हैं जिसे स्त्रियों के प्रति अकबर के दृष्टि कोण और विचारों पर प्रकाश पड़े । अकबर के तीन और कटु बालीका बदायूंनी नै या जैसकट पादरियों ने अकबर के यौन जीवन या स्त्रिी - विषयक दुर्बलता का कोई विवरण नहीं दिया है । ऐसा माना जाता है कि मध्य युग में रानियाँ वीर तुकों में प्रचलित वप्राकृतिक मैथुन के दुगुण से अकबर फेवर मुक्त ही नही पा अपितु जो लोग इसमै लि होते थे उनसे ! वह पृणा करता था । वह क कपट का भी व्यवहार करता था । कमी कमी उसके मोसंयम का बांध टूट जाता था तथा कोष के पुस्साह वावेश
२४ - ॐ बी० लेवेल के अनुसार • मुनिराज विषाविजयजी व्दारा उदयत
हिन्दी अनुवादक कृष्ण लाल वर्मा - सुरीश्वर और सम्राट अकबर - पृ० ३३८.
For Private And Personal Use Only