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अकबर की धार्मिक नीति
के लिये बाड़ी मुड़ाना आवश्यक था ।
दीनलाही के अनुयायियों का वर्गीकरण व सदस्य संख्या
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दीन इलाही के अनुयायििों को चार भागों में विभाजित किया गया था । बदायूंनी के अनुसार बार सीढ़ियाँ थी सम्पत्ति, जीवन, सम्मान और थी बादशाह को अर्पण कर देना । जो इन चारों पदार्थों को अर्पण कर देता था, उसे चार सीढ़ियां मिलती थी। जो एक पदार्थ अर्पण कर देता था उसे एक सीढ़ी । सब दरबारियों ने अपने नाम सिंहासन के बहव शिष्यों की सूची में लिखवा दिये थे । (१४)
लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि बदायूंनी ने यहां पर मजाक ही किया है, क्योंकि वह स्वयम् उन सब दरबारियों में नहीं था जिन्होंने चारों पदार्थ सम्राट को अर्पण कर दिये थे । और तब भी वह अपने जीवन के शेण १५ वर्ष तक अकबर के दरबार में रहा था । उसने स्वयम् दीनइलाही अपनाने वाले केवल सोलह दरबारियों के नामों का उल्लेख किया
१. बबुल फजल खलीफा २
मुबारक नागोरी, ४
(१४) (१५)
"
। जब कि बबुल फजल ने दो नाम और लिखे है । मबुल फजल कहता है कि वीरबर के अतिरिक्त वे सब मुसलमान थे लेकिन बदायूंनी के कहने से यह मालुम होता है कि अनुयायियों की संख्या और अधिक होगी । (१५) दीनालाही के साधारण सदस्यों की संख्या भी कुछ हजार से अधिक नही थी किन्तु साम्राज्य के अधिकांश विशिष्ट पुरुष इसमें सम्मिलित नहीं हुए तत्कालीन विशिष्ट व्यक्तियों में से केवल अठारह व्यक्ति ही इसके सदस्य थे । मौलाना मुहम्मद हुसैन ने इन कठारह व्यक्तियों के नाम इस प्रकार गिनाये है -
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फैजी, दरबार का प्रधान कवि, ३
शेख
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जाफर बैग आसफ खां, इतिहास लेखक और कि
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Aim-1-Akbari Vol. I. P. 191.
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P. 209.
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