________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ਮਝਦਸ਼ੀ ਸੰਤ ਜੀਓ
80
फतेहपुर सीकरी बाया उनके तीन सदस्य थे - रुडोल्फ एक्वाविवा, एण्टनी मांसरेट, और फ्रांसिस हेनरीक्वेज । ३ मार्च १५८० को अकबर नै दीवान - ए - लास में इनका सम्मान किया । इस समय पर पादरियों ने कवर को बाइकिल की एक प्रति मात जिल्दी वाली भेट की । स्मिथ लिखता है कि अकबर ने बड़ी श्रद्धा से इस बाइबिल को ग्रहण क्यिा । उसने इस बाइबिल की प्रत्येक जिल्द को अपनी पगड़ी उतार कर सिर पर रख कर उसका सम्मान किया और हार्थों में हैकर निष्ठा पूर्वक उनको मा मी"! पादरियों ने ईसामसीह को ईश्वर का पुत्र बताया बार ईसाक्ष्यों को अवतार वाद तथा त्रियकता की व्याख्या की। उन्होने पुनरुत्थान, अन्तिम न्यान पवित्र आत्मा, पवित्र मोज, अनुगृह धौर विश्वास, ईसा के देवत्व की बाप सापती आदि अन्य विषयों पर विशुद्ध विवेचन क्यिा और इन पर अकबर की शंकाओं का निराकरण किया ।
प्रथम ईसाई मिशन के पारियों की धारणा थी कि उनके प्रभाव से अकबर ईसाई नत स्वीकार कर लेगा । परन्तु उनके सतत प्रयत्मा के बाद पी ईसाई धर्म के प्रचार में निराश हो गये थोर अकबर को ईसाई बनाने में असफल रहे । अत: अपने प्रयत्नों में सफल होने पर वे निराग होकर गांव लौट गये । गोवा से वितीय बेसुइट मिशन :
रडवर्ड लियोटन और क्रिस्टोफर डी वेगा नामक दो पुर्तगाली पादरी १५९१ में लाहौर पहुंचे । इन पादरियों ने सम्राट से भेट के समय ईसाई धर्म के सिद्धान्तों पर प्रकाश डाला । इन्होने लार में एक पाठशाला स्थापित की जिसमें उकलर के पुत्र(भुराद और दानियाल ) क पात्र खूसरो तथा अन्य अमीरों और सामन्तो के लड़के पुर्तगाली पाणा पढ़ते थे । कुछ समय बाद इन पादरियों ने उनुभव किया कि अकबर को वास्तव
18. Smith Ak bar the Great Mogul, P. 175.
For Private And Personal Use Only