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गोपीचक्रकी भेषजी । हितकरी लिखी रसाल || जीवन लग कहे प्रगट है । गुरुद्रोही विषाल चंद्रावती आदिसरे । लीख्यो जानि शनीवार ।। जयनगर के श्रावगी । अजवराम कहे वाय
॥ श्रीनागार्जुनकृतगोपीचक्रकल्पं सम्पूर्णम् ॥
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प्रिय पाठकोंको
खुश खबर -
खास कामरूप देशोत्पन्न वह असली "सियाल सिंगी" जिसकी तारीफ में लोग यह कहा करते हैं कि" सियाल सिंगी श्वेतवाजा, क्या करेगा रूठा राजा " जिसको हमने गहरे श्रमके साथ प्राप्त की है ।
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इसको विधि पूर्वक मंत्रसे मंत्रित करके पास रखनेवालोंकी सर्वेच्छाओंकी सिद्धी होती हैं. तथा — इसके प्रभावसे. राजसभामें सन्मान, मुकदमोंमें विजय प्राप्त, भूत पिशाचादिकों का उत्पात नष्ट ३६० मूठ अपने शरीर| पर नही आता कामरू देशके लोक मंत्रितकर जांघको चीरकरबीच में रखते है और राजयक्षमादि- राजरोग नष्ट हो जाते हैं. शत्रुभी वशमे होकर शरणमें आजाता है. वशीकरण में भी यह सियाल सिंगी अपने ढंगकी एक है. जिन महानुभावोंका आवश्यकता हो निम्न पत्तेसे मंगाले न्योछावर रू. ५ से २५ पर्यंत
आकाश
गामिनी
विद्याकल्प
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