________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास में नहीं, दूसरी बहुत सी जातियों में भी यह बात अनुश्रुति द्वारा पाई जाती है । इस किंवदन्ती का होना कुछ अभिप्राय रखता है । वस्तुतः, किसी समय उनका अपना राज्य--गणराज्य था, और वे किसी गणराज्य के ही उत्तराधिकारी हैं । इस सम्बन्ध में श्रीयुत् रसेल की जातिभेद सम्बन्धी पुस्तक से एक उद्धरण देना बहुत उपयोगी होगा
"ऐसा प्रतीत होता है, कि बनिया लोगों का मूल राजपूतों से है। उनमें से अनेक जातियों में किंवदन्ती है, कि उनका उद्भव राजपूतों से हुवा । अग्रवाल कहते हैं, कि उनका सर्व प्रथम पूर्वज एक क्षत्रिय राजा था। उसने एक नाग कुमारी के साथ विवाह किया । नाग लोग सम्भवतः सीदियन जाति के थे, जो बाहर से भारत में आकर बसे । अनेक राजपूत जातियों का उद्भव इन्हीं सीदियन लोगों से माना जाता है । सीदियन लोग नाग की पूजा करते थे, इसलिये शायद नाग कहाते थे । अग्रवालों का नाम अगरोहा या सम्भवतः आगरा से पड़ा। ओसवाल कहते हैं, कि उनका सर्व प्रथम पूर्वज मारवाड़ के अोसनगर का राजा था, और वह राजपूत था । उस राजा ने अपने अनुयायियों के साथ जैन धर्म की दीक्षा ली । नेम लोग बताते हैं, कि उनका उद्भव चौदह राजपूत कुमारों से हुवा, जो परशुराम के कोप से बचने में समर्थ हुवे थे। परशुराम के कोप से बचने के लिये ही उन्होंने शस्त्र त्याग कर व्यापार प्रारम्भ किया था । खण्डेलवालों का नाम राजपूताना की जयपुर रियासत के खण्डेल नामक नगर से पड़ा है।"
1. R. V. Russel, Tribes and Castes of the Central Provinces. Vol.
II. pp. 116-117.
For Private and Personal Use Only