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अग्रवाल जाति की उत्पत्ति
बनी रही । धीरे धीरे उसकी राजसत्ता समाप्त हो गई–पर पृथक् सत्ता बनी रही । यही पृथक् सत्ता आज भी कायम है।
(३) वर्तमान समय की अनेक जातियों की उत्पत्ति प्राचीन भारतीय गणराज्यों में ढूंढी जा सकती है। जाति-भेद का विकास किस प्रकार हुवा, यह प्रश्न बड़ा जटिल है । जाति भेद के विकास में बहुत से कारण हैं, किसी एक हेतु से सब जातियों के मूल व विकास की व्याख्या नहीं की जा सकती । विविध जातियों का उद्भव विविध प्रकार से हुवा । मैं यहां भारत के सम्पूर्ण जाति भेद की व्याख्या करने का प्रयत्न नहीं करूँगा । न ही मैं यह प्रयत्न करूँगा, कि प्राचीन भारत के सब गणराज्यों की प्रतिनिधि रूप आधुनिक जातियों को प्रदर्शित करूँ । मेरी स्थापना यह है, कि वर्तमान समय की अनेक जातियों का उद्भव प्राचीन गणों द्वारा हुवा है । यथा, अग्रवाल जाति का उद्भव आग्रेय गण से है। इसी स्थापना को पुष्ट करने के लिये मैं यहां यह प्रदर्शित करना चाहता हूं, कि किस प्रकार प्राचीन समय के अनेक गणराज्य अब जातियों के रूप में परिवर्तित हो गये हैं । कठिनता यह है, कि पुराने जमाने के बहुत से गण अपना असली निवास स्थान छोड़ कर नये स्थानों पर जा बसे हैं। पर हमारे सौभाग्य से कुछ जातियां ऐसी भी है, जो अपनी पुरानी जगह से बहुत दूर नहीं गई हैं, और जिनमें अपने पुराने वैभव, लुप्त राजसत्ता तथा गौरव की स्मृति अभी तक शेष है। ऐसी जातियों द्वारा हम भारत के जाति भेद की समस्या को कुछ हद्द तक सुलझा सकते हैं । उदाहरण के लिये मैं कुछ जातियों को यहां देता हूँ---
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