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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
वह किस समय हुआ। किसी अत्यधिक प्राचीन काल में किसी जाति नियम की कोई शिथिलता ही यदि उन्हें पृथक् करने का कारण हुई हो, तो यदि उसकी उपेक्षा कर अब पुनः जातीय एकता की स्थापना की प्रवृत्ति अग्रवालों में हो, तो इसमें आश्चर्य ही क्या है ?
आजीविका-अग्रवाल लोगों को मुख्य आजीविका कृषि, पशुपालन और वाणिज्य ( वणिज व्यापार ) है । मनुस्मृति आदि धर्मग्रन्थों में वैश्यों के ये ही कर्म लिखे हैं। मारवाड़ी अग्रवाल तो प्रधानतया व्यापार ही करते हैं । अन्य अग्रवाल व्यापार के अतिरिक्त दूसरे भी बहुत से पेशों में लगे हैं । पंजाब के अग्रवाल किन पेशों का अनुसरण कर रहे हैं, यह निम्न तालिका से स्पष्ट होगा-- कमाने वालों की पेशा पेशा पेशा पेशा पेशा
कुल संख्या व्यापार जमींदारी खती एजेन्सी मजदूरी पुरुष १०२३३६ ७९६४३ १८४३ ६१८५ ८१ ३२० स्त्री ३८७२ १३७० ४७५ १७६ १ ३१
खेद है, कि पंजाब की मर्दमशुमारी की इस रिपोर्ट में कमाने वाले कुल १०२३३६ अग्रवाल पुरुषों में से केवल ८८०७२ पुरुषों के पेशों की मंख्या दी है । शेष २४२६४ पुरुष किन पेशों में लगे हैं, इसकी गणना नहीं दी गई। निस्सन्देह, ये हज़ारों अग्रवाल पुरुष इञ्जिनियर, डाक्टर, वकील, प्रोफेसर, अध्यापक श्रादि का पेशा करते हैं। देशवाली अग्रवालों में शिक्षा का प्रसार बहुत है । बहुत से लोगों ने ऊंची शिक्षा प्राप्त कर बड़ी ऊंची स्थिति प्राप्त की है। पंजाब के अग्रवालों में
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