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फुटकर टिप्पणियां
डाला, और उसे अपना मित्र बना लिया । उन्होंने उसकी सहायता से एक नया गांव बसाने की योजना बनाई । जबरदीखां के साथ बुधराम नाम का एक जाट था। वह भी बड़ा वीर था । इन दोनों भाइयों ने जबरदीखां और बुधराम के साथ मिलकर एक उपयुक्त स्थान ढूंढा और वहीं पर पन्द्रहवीं सदी के अन्त में कड़े नाम का गांव बसाया । जबरदीखां इस गांव का नवाब बना, और राज्य का सञ्चालन पाहुराम और भोलाराम करने लगे । इस के गांव के नाम से ही इन भाइयों की सन्तान का बंक केड़िया हो गया । यदि यही घटना उस युग में होती; जब भारत में गरण राज्यों का युग था और अग्रवालों की शस्त्रोपजीविता अभी नष्ट न हुई होती, तो ये दोनों भाई स्वयं ही इस राज्य के स्वामी होते, और इन से एक नये वंश का प्रारम्भ हुवा होता । ये भी पृथक् वंशकर्त्ता' कहाते । पर समय के परिवर्तन से ये किसी नये बंश के प्रवर्तक न बन कर, केवल नये वंक केही प्रवर्तक बने ।
इसी तरह सेठ तुलसीराम जी से तुलस्यान, सेठ जालीराम जी से जालान और सेठ भोजराज जी से भोजान वंशों का प्रारम्भ हुवा | इस तरह के बहुत से उदाहरण यहां एकत्र किये जा सकते हैं, पर अंकों व अल्लों का स्वरूप स्पष्ट करने के लिये इतने ही पर्याप्त हैं ।
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