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मध्यकाल में अग्रवाल जाति नियत हुवा । इस कमीशन का दीवान पद राय पटनीमल को मिला,
और इसकी सफलता के लिये इन्होंने बड़ा कार्य किया। ___ इसके बाद राय पटनीमल ने राजकीय कार्य छोड़कर धार्मिक जीवन बिताना प्रारम्भ किया । इन्होंने बहुत से मन्दिर, कुंवे, तालाब आदि बनवाये। हरिद्वार, मथुरा, ज्वालामुखी, गया आदि तीर्थ स्थानों में अनेक महत्वपूर्ण स्थानों का जीर्णोद्धार कराया । ये स्थान राजा पटनी मल के स्थिर स्मारक हैं, और उनके धर्म प्रेम के ज्वलन्त उदाहरण हैं ।
राय पटनीमल की कृतियों ( Monuments ) में सबसे महत्वपूर्ण मथुरा का शिवताल है। यह कई लाख रुपयों की लागत से बनवाया गया था। इसके मुख्य द्वार पर दो शिलालेख संस्कृत और फारसी में उत्कीर्ण कराये गये हैं । उनसे सूचित होता है, कि इस ताल का निर्माण सम्वत् १८६४ ( सन् १८०७ ई० ) की ज्येष्ठ शुक्ला दशमी शुक्रवार के दिन हुवा था । मथुरा में राजा पटनीमल ने अन्य अनेक मन्दिर बनवाये। इनमें अचलेश्वर, दीर्घविष्णु और वीरभद्र के मन्दिर विशेष रूप से . उल्लेखनीय हैं । मथुरा में वह मकान अब तक विद्यमान हैं, जहां राजा पटनीमल निवास करते थे।
सन् १८२९ में राजा पटनीमल ने बनारस जिले में नौबतपुर के पास कर्मनाशा नदी पर पत्थर का एक बहुत मजबूत और सुन्दर बांध बंधवाया था। इससे पूर्व नाना फडनवीस, रानी अहिल्याबाई आदि कई महानुभाव इस बांध को बंधवाने का प्रयत्न कर चुके थे, पर उन्हें सफलता नहीं प्राप्त हो सकी थी। राजा पटनीमल इसमें सफल हुवे, और इसके उपलक्ष में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की तरफ से लार्ड बिलियम बैटिंक
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