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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
अपने वश किया। दक्षिणी सीमा पर राज्य की रक्षा के लिये दुर्ग बनाये गये। __ जब सब व्यवस्था ठीक हो गई, तो राजा उरु और शूरसेन मथुरा वापिस आये । वहां उनका बड़ी धूमधाम के साथ स्वागत हुवा । विजय के उपलक्ष में बड़ी भारी सभा की गई, जिसमें ब्राह्मण तथा अन्य बड़े लोग इकठे हुवे । उरु ने शूरसेन के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकाशित करने के लिये मथुरा का दूसरा नाम 'शौरसेन' रखा । इस तरह शूरसेन की सहायता से महाराज उरु के राज्य का पुनरुद्धार हुवा। ___ हमें 'उरुचरित' की जो प्रतिलिपि मिली है, वह यहां समाप्त हो जाती है । पर इसमें संदेह नहीं, कि यह प्रतिलिपि पूर्ण नहीं है। इसका अन्तिम श्लोक यह है
इदानीं शूरसेनस्य संवादः श्रावयिष्यते ।
शिष्य राज्य...... उरुणा सह योऽ भवत् ।। (हे शिष्य ! अब वह सम्बाद कहेंगे, जो शूरसेन का उरु के साथ राज्य ( के विषय में ) हुवा था।
इसमें संदेह नहीं, कि उरुचरितम् का राजा अग्रसेन विषयक जो वृत्तान्त है, वह अग्रवाल इतिहास की दृष्टि में बहुत ही उपयोगी है। ]
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