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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
शिष्य स हि गौडां देश: हिमस्थानादि संवृतः । गंगया यमुनया न्त्र जायते सुप्रवाहितः ॥ ६८ इत्थं वै भ्रातरौ द्वौ हि राज्यस्थानं प्रचक्रतुः ॥ ६६ मुनिर्गर्गस्य ह्या देशात् यज्ञ कर्तुं मनो दधे ॥७० प्रेषितं सर्वदेशेषु सवनस्य निमन्त्रणम् 1
वृत्तान्तं तस्य वै ज्ञात्वा मुनयो देवतास्तथा || ७१ faaie: ऋषयश्चैव प्रोरुह्य स्व स्त्र वाहने
यागे सम्मिलिताः सर्वे हर्ष निर्भर मानसाः ॥७२ प्रत्येक मै शूरसेन: सादर वासमाददत्
अग्रसेनः
सवनस्याधिष्ठाता
सर्वसम्मतः
सवनस्य च ब्रह्माभूत् मुनिगर्गस्तथैव न्त्र
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शिष्य ! यह गौड़ देश हिमालय से संवृत हैं। गंगा और यमुना
नदियां इसमें बहती है । ६८
इस प्रकार दोनों भाइयों ने अपने राज्य के स्थान बनाये । ६९
फिर ( अग्रसेन ने ) मुनि गर्ग के आदेश से सब देशों में यज्ञ के निमन्त्रण भेजे गये।
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यज्ञ करने को मन
बनाया
यज्ञ का वृतान्त जान कर सब देवता और मुनि, विद्वान् और ऋषि अपनी अपनी सवारी पर चढ़ कर, हर्ष से पूर्ण हो यज्ञ में सम्मिलित हुवे । ७०–७२
शूरसेन ने सब के लिये वास का स्थान सादर दिया । सब की सम्मति से अग्रसेन यज्ञ का अधिष्ठाता नियत हुवा । ७३