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आठवां अध्याय
राजा अग्रसेन के उत्तराधिकारी
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क्रुक द्वारा संगृहीत किंवदन्तियों के अनुसार राजा अग्रसेन की अठारह रानियां थीं और उनसे चौवन पुत्र तथा अठारह कन्यायें हुई । भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी ने भी 'अग्रवालों की उत्पत्ति' में यही लिखा है अग्रवैश्यवंशानुकीर्तनम् में अग्रसेन की अठारह रानियों का उल्लेख किया गया है । वहां उनके नाम भी दिए गए हैं, जो निम्न लिखित हैं-- मित्रा, चित्रा, शुभा, शीला, शिखा, शान्ता, रजा, चरा, शची, सखी, शिरा, रम्भा, भवानी, सरसा, समा और माधवी । ये नाम कुल सोलह हैं । शेष दो रानियों के नाम नहीं मिलते हैं । माधवी मुख्य रानी थी । संभवतः यही कोलपुर के नागराजा की कन्या थी । 'अग्रवैश्य - वंशानुकीर्तनम्' में इन विविध रानियों के पुत्रों के नाम भी दिये गए
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