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राजा अग्रसेन का वंश
मनु के पाठ पुत्र और एक कन्या थी। प्राचीन भारतीय अनुश्रुति के प्रायः सभी राजवंशों का प्रादुर्भाव मनु की इस सन्तति से माना गया है । मनु के लड़कों में चार मुख्य हैं । बड़ा लड़का इक्ष्वाकु अयोध्या में राज्य करता था। उसके दो पुत्र थे, विकुक्षि-शशाद और नेमि । पहले पुत्र से अयोध्या के प्रसिद्ध ऐक्ष्वाकव वंश का विकास हुवा । इसी को सूर्यवंश भी कहते हैं । दूसरे पुत्र नेमि से विदेह वंश चला। मनु के एक पुत्र शर्याति ने आनर्त में अपना राज्य कायम किया। तीसरे लड़के नाभाग से रथीतर वंश शुरू हुवा ।' चौथे लड़के नेदिष्ट या नाभानेदिष्ट से उस प्रसिद्ध वंश का प्रारम्भ हुवा, जिसकी राजधानी वैशाली थी। वैशाली पर शासन करने के कारण ही ऐतिहासिक लोग इस वंश को वैशालक-वंश कहते हैं । अनेक पुराणों में इसका उल्लेख किया गया है । 'उरुचरितम्' ने धनपाल का सम्बन्ध इसी वैशालक वंश की एक छोटी राजशाखा के साथ जोड़ा है। हम इस पर विस्तार से प्रकाश डालेंगे।
पुराणों में वैशालक वंश की मुख्य शाखा का वर्णन इस प्रकार किया गया है । नाभानेदिष्ट के, जिसे विविध पुराणों में नेदिष्ट', अरिष्ट', धृष्ट या दिष्ट भी लिखा गया है, लड़के का नाम नाभाग था। मार्कण्डेय
1. Pargiter, Ancient [ulian Historical Trailition, pp. 84-85 १. तथा p. 96 3. उरुचरितम,श्लोक ११. +. वायुपुराण ८६ । ३-२२ 5. मार्कण्डेय पुराण १११ । ४ (6. तथा ११३ । २
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