SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 51
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चम्म-शा ~www. चम्म चर्मन चयण च्यवन -- घर चरिया चर्या चलू (धातु) बॉलेमाण, उच्चा लिय चल ( अचल ) चवण ( चयण) भयवन चाइण त्यागिन् चायू (धातु) निकाय, ( निकाध्य निवारय निकाएकण, निकाएयंव्वा ) चारिण- चारिन् १चि (धातु) संसंचियाणं २ चि " wwwww.. पण यान चय जाणवय जानपद जाणु जानु लपण क्षणन चर् (धातु) करे, रेज्जा, अचारी, छद् (धातु) पछि पनि जाम याम अणुविष्ण उवचरन्ति उवबरे, बिय , च्छन्न, परछन्न जाय जात रिंसु, संचरिज्जा, अणुसंचरइ चोर चौर च्यु छ षटू -- चिट्ठा चेष्टा चित् (धातु) ए चित्त (आवे ) चित्तमन्त चित्तमन्त् चित्तान्तग चिन्तषु (धातु) अणुविचिन्निय चिर 39 अणुवाइ ( य ) अणुविचिय बुद ( धातु ) चुइय ( चोइओ ) च चयइ ( यजू ) चेयण ( अचे० ) चेतन ( अचे० ) चेल (अर्थ) वस्त्रार्थक चेलग, वेलिय चेट (धातु) विपरिचिहर, परिवि चिलक चिह्नि ( धातु ) चुय अकारादिशब्दानुकणिका छह पत्र ला क्षण www.kobatirth.org www ज जाया यात्रा छन्द छन्दसू छाया जावन्त्, जाव यावन् यासमी छिद (धातु) छिबर, छिन्देज, वमू, यावन्ती छिन्दह, छिन्न, छिताः वोच्छिन्दे- जि (धातु) वित्ता, बिएनु या अवोच्छिन्न अच्छे अच्छेन जिण जिन परिच्छिन्दिय, पलि० , जिम्मा जिन्दा छु छेतर् छे छ- (छ्क्कारेति ) १ छेय छेक २ छे छेद यथा अण्डज पोतज ज ( सर्वनाम य ) जे, (एक बहु० ) जइमन्त्० द्युतिमन्त् जो, जं, जा, जेन, जाए, जुज्झ युध्य जस्स, जसि, जाई, जाओ, जेहिं, जुद्ध युद्ध जेसिं, गु जनकं Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जन्तु जम्म जरा जराउ जरायु जहा यथा जाद जाति जाइय जातिक जागर जन्म जी (धातु) जीविसामो जी विउ, जीविउ-काम जर यदि जओ यतः जंघ जण जन जणग जणवय जनपद जोग योग जोगया योगता जोणि योनि जत्थ यत्र जन्, जा (धातु) जायद, जाय, जोणिय योनिक जणयन्ति, अभिसंज्ञाय जोग्वण यौवन For Private And Personal Use Only जीव जीविण जीविन् जीविय जीवित जीटा जिव्हा जुष् (धातु) क्षोसेमाण, अझो सयन्त जर (धातु) जूर, जूरह ज्ञ " जरेहि, जुण्ण, परि जुण्ण ज्ञा (धातु) जाणइ, जाणेज्जा, जाण, जाणे; जाणाहि जाणह, जाणेह अनेसी, अन्नेसिं, जाणन्तू अजाणन्त्, अयाणन्तू, जाणित्ता, जाणि नवा नवाण अणुजाण, अणुजाणए, अणुनाइ, अनुजाणित्या, समगुजाण, स० जागाइ, स जाणेना, स० जाण माण,
SR No.020016
Book TitleAcharanga Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Sanshodhak Samiti
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publication Year1924
Total Pages68
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy