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आचा क्रमाग्र-परिपाटीवडे अन ते क्रमाय छे. आ द्रव्यादि चार प्रकार छे, तेमां द्रव्यान ते एक अणुथी वे अणु अने वे अणुथी।
। सूत्रम् Mत्रण अणु विगेरे छे. क्षेत्रान-एक प्रदेशना अवगाढथी वे प्रदेशना अवगाढ सुधी, ये प्रदेशना अवगाढयीत्रण प्रदेश अवगाढ विगेरेछ. ॥८५७॥ कालाग्र-एक समयनी स्थितिथी वे समयनी स्थिति सुधी, वे समयनी स्थितिथी त्रण समयनी स्थिति सुधी.
८५७॥ भावाग्र--एक गुण काळाशथी ये गुण कालाश, वे गुण काळाशथी त्रण गुण काळाश विगेरे छे. गणना अग्र-संख्या धर्म स्थान ते, एक स्थानथी बीजा दश स्थान सुधी ते दश गुणो जेम एक-दश-सो-हजार. संचय अग्र-संचित द्रव्यना उपर जे छे, ते ताम्र उपस्कर सचित्तना उपर शंख छे.
भावापना त्रण प्रकार-१ प्रधान अग्र, २ मभूत अग्र, ३ उपकार अग्र, तेमा प्रधान अग्र सचित्त, अचित्त, मिश्र-एम त्रण प्रकारे छे. सचित्त पण बे पगवाळा चार पगवाळां अपद विगेरे त्रण भेदे छे, तेमां द्विपदमां तीर्थङ्कर, चोपदमां सिंह, अपदा कल्पवृक्ष छे. अचित्तमां वैडुर्य विगेरे, मिश्रा तीर्थङ्करज दागीनाथीज अलंकृत होय ते, प्रभूत अग्र ते अपेक्षा राखनार छे. जेमके
“जीवा पोग्गल समया दन्न पएसा य पजवा चेव । योवाऽणताणता विसेसमहिया दुवे गंता ॥१॥"
१ जीव, २ पुद्रलो, ३ त्रणे कालना समयो, ४ द्रव्यो, ५ प्रदेशो, ६ पर्यवो. १ स्तोक [थोडा], २ अनंत गुणा, ३ अनंत ट्रगुणा, ४ विशेषअधिका वे अनंता [अनंत अनंत गुणा.] ___आ वधामां एक पछी एक अछे, अने पर्याय अन तो सौथी अनछे, उपकार अन तो पूर्वे कहेला विस्तारथी अने न कहेला बताववाथी उपकारमां व छे, जेमके
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