________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आयारस्स भगवओ चउत्थ-चूलाइ एस निज्जुत्ती / पंचमचूलनिसीहं तस्स य उवरि भणीहामि // 344 // सत्तहिं छहि चउचउहि य पंचहि अट्ट चउहि नायब्बा / उद्देसएहिं पढमे मुयखंधे नत्र य अज्झयणा / 345 // इक्कारस तिति दोदो दोदो उद्देसरहिं नायचा / सत्तय अट्टयनवमा इकसरा हुँति अज्झयणा // 346 // तथा महापरिज्ञा नामर्नु अध्ययन विच्छेद जवाथी तेनी नियुक्तिनुं विवरण टीकाकारे न करवाथी नीचे मुकी है पाहणे महसदो परिमाणे चेव होइ नायव्यो / पाहण्णे परिमाणे य छबिहो होइ निक्खेवो // // दव्वे खित्ते काले भावंमि य होती या पहाणा उ / तेसि महासदो खलु पाहण्णेणं तु निष्फन्नो // 2 // दब्वे खेत्ते काले भावमि य जे भवे महंता उ / तेसु महासदो खलु पमाणओ होति निष्फनो // 3 // दब्वे खेचे काले भावपरिण्णा य होइ बोद्धव्वा / जाणणओववक्खणओ य दुविहा पुणेकेका // 4 // भावपरिण्णा दुविहा मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य / मूलगुणे पंचविहदुहाविहा पुण उत्तरगुणेसु // 5 // पाहण्णेण उ पगय परिणाएय तहय दुविहाए / परिणाणेमु पहाणे महापरिण्णा तो होइ / / 6 / / देवीणं मणुईणं तिरिक्खजोणीगयाण इत्थीणं / तिविहेण परिचाओ महापरिणाए निज्जुनी // 7 // AONENDIN00000000000.. - आचाराङ्गसूत्र समाप्त थयु.. GENOMDHONORANONDIA For Private and Personal Use Only