________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir CA- CREAC%E . - - चोथी भावना ए के जीभयी जीवे भल मुंडां रस चाखतां तेमा आसक्त के विवेकभ्रष्ट न थ केमके केवळी कई छ आचाक के तेम थतां शांतिभंग थवाथी धर्मभ्रष्ट थवाय छे. सूत्रम् पांचमी भावना ए के भला मुंडा स्पर्श अनुभवतां तेमां आसक्त के विवेकभ्रष्ट न चुकेमके केवळी कहे के के तेम 31 // 1115 // 8/ यतां शांति भंग थवाथी धर्मभ्रष्ट थवाय छे. एरीते महाव्रत रुडी रीते कायाथी स्पर्शित, पाळित पार पहोंचाडेल, कीर्तित, अवस्थित अने आज्ञाथी आराधित पण थाय Pए पांचमुं महाव्रत. ए महाव्रतोनी पचीश भावनावडे संपन्न अणगार मूत्र, कल्प तथा मार्गने यथार्थ पणे रुडी रीते कायाथी स्पर्शी, 18 पाळी, पार पहोंचाडी, कीर्तित करी आज्ञानो आराधक पण थाय छे. विमुक्ति अध्ययन. भावना नामर्नु त्रीजुं कहीने विमुक्ति नामर्नु चोथु अध्ययन कहे छे, तेनो आ प्रमाणे संबंध छ, त्रीजामां महात्रतनी भावनाओ बतावी छे, तेम अहीं पण अनित्य भावना कहे छे, आ संबंधे आवेला अध्ययनना चार अनुयोगद्वारो थाय छे, तेमां उपक्रममा द्रा रहेल अर्थाधिकार बतावचा नियुक्तिकार कहे छे. अणिच्चे पव्वए रुप्पे भुयगस्स तहा (या) महासमुद्दे य / एए खलु अहिगारा अज्झयणंमी विमुत्तिए / 342 // आ अध्ययनमा अनित्यत्व, पर्वत, भुजंगपणुं अने समुद्रनो एम पांच अधिकार छे, ते यथायोग्य मूत्रमांज कहींY. नामनिष्पन्न नि. मां विमुक्ति नाम छे, एमा नामादि निक्षेपा उत्तराध्ययनमूत्रना विमुक्ति (विमोक्ष) अध्ययनमां बताव्या - . - . Recca.. -कर. For Private and Personal Use Only