________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आचा
॥९४६॥
॥९४६॥
CARECARE
आ अध्यननो बधो अर्थाधिकार शय्या विषय संबंधी छे, अने हवे उद्देशानो अर्थाधिकार बतावका नियुक्तिकार कहे हे.
सब्वे वि य सिजविसोहिकारगा तहवि अस्थि उ विसेसो । उद्देसे उद्देसे वुच्छामि समासो किंचि ॥ ३०२ ॥ __भा बधा एटले त्रणे उद्देशा जो के शय्या विशुद्धि करनारा छे, तोपण तेमां दरेकमां कांडक विशेष छे, तेने हुँ टुंकाणमा दीते कहे हे
उग्गमदोसा पढमिल्लुमि संसत्त पञ्चवाया य । चियमि सोअवाई बहुविकसिज्जाविवेगो २ य ।। ३०३ ॥ तेमा प्रथम उद्देशामा वसतिना उद्गम दोषा आधा कर्म विगेरे छे, तथा गृहस्थ विगेरेना संसर्गयी अपायो चिंतवेला छे, तथा बीजा उद्देशामां शौचवादि (गृहस्थी ) ना बहु पकारना दोषो तथा शय्यानो विवेक (त्याग) बतावे छे. आ अर्थाधिकार -
तइए जयंतछलणा सज्न यस्सऽणुवरोहि जइयव्यं । समविसमाईएमु य समणेणं निजरटाए ३ ॥ ३०४ ॥ त्रीजा उद्देशामां जयणा पाळनार उद्गम विगेरे दोषो त्य जनार साधुने जे छलना थाय, ते दूर करवा प्रयत्न करतो, तथा स्वाध्यायने अनुकूळ ए समविषम विगेरे उपाश्रयमा निर्नराना अर्थी साधुए रहेवू, ए विषय हे, नियुक्ति अनुगम कयो हवे मूत्रानुगममा मूत्र कहे डे
से भिक्खू वा० अभिकंखिज्जा उवस्सयं एसित्तए अणुपविसित्ता गाभं वा जाव रायहाणि वा, से में पुण उवस्मयं जाणि
जा सभंट जाव ससंताणय तहप्पगारे उपस्सए नो ठाणं वा सिज्ज वा निसीडियं वा चेइज्जा ।। से भिक्ख वा० से जं पुण उवस्मय जाणिज्जा अप्पंडं जाव अप्पमंनाणयं तहप्पगारे उबस्सए पडिले हित्ता पमज्जित्ता तो संजयामेव ठाणं वा
RESIC
For Private and Personal Use Only