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आचा०
॥६४९॥
॥६४९॥
ई उच्च नीच कुळमां पोताना शुभ अशुभ कर्म भोगववाने गयेला (जन्म पामेला ) छे, अने ते कर्मना उदयथी आवी अवस्थाने P भोगवे छे, तेमां तेमने उत्पन्न यता सोळ रोग बतावनार त्रण इलोको छे. तेमां (१) प्रथम रोग, वात, पित्त, श्लेष्म अने ते |
सूत्र त्रणेना भेगा थवाथी संनिपात एम चार प्रकारे गंड (कंठमाळ) छे, ते गंड जेने होय ते गंडी कहेवाय छे, एटले गंडमाळा नामनो रोग ते संसारी जीवने थाय छे, तेज प्रमाणे बीजा पण रोगो थाय छे, ते बतावे छे, ( अथवा शब्द दरेक रोग साथे जोडवो) अथवा राजांसी एटले अपस्मार (क्षयनो भेद ) विगेरेनो रोग धाय छे, अथवा अढार प्रकारना कोढ रोगवाळो कोढीयो थाय छे.
तेमां सात मोटा कोढ छे, ते आ प्रमाणे 8 (१) अरुणो (२) दुम्बर (३) निश्यजीव्ह (४) कपाल (५) काकनाद (६) पौण्डरीक (७) दद्रु. ( लाल दादर) आ साते 18 प्रकारना कोढो बधी धातुमा प्रवेश थवाथी अने असाध्य थइ जवाथी ते साते भयंकर छे.
नीचला अगीआर कोढ क्षुद्र छे. (१) स्थूळ आरुष्क (२) महाकुष्ट (३) एककुष्ट (४) चर्मदळ (५) परिसर्प [६] विसर्प [७] सिध्म [८] विचर्चिका द (काळीदादर ) [९] किटिभ (खरसवू ) [१०] पामा (खस) [११] शतारुक (घणी फोल्लीओ.) कुल नाना मोटा १८ छे, ते
सामान्यथी जोतां, बधाए कोढ-रोगो संनिपातथी थाय छे. छतां पण, वात विगेरेना ऊत्कट दोषथी जुदा जुदा भेदवाळा गणाय P 8.छे. तथा, राजांस रोग ते, राज्यक्ष्मा (क्षय) रोगवाळो, राजांसी (क्षयो) कहेवाय छे, अने ते क्षयरोग संनिपातथी चार
कारणे थाय छे. कर्जा छे के:
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