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आचा०
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उलडं कहे छे. तीर्थङ्कर पोते वधा संशयने छेदनारा धर्म कहे छे, छतां केटलाकने प्रबळ मोहना उदये घेरी लेवाथी संयममां खेद पामता रहे छे, (कांतो संयम लेता नथी, ले, तो पूरो पाळता नथी) तेवाने तमे जुओ [गुरु शिष्यने कहे छे] ते बोळा कर्मी संयग्रमां दुःख पामता जीवो केवा छे. ते कहे छे, आत्माना हितने माटे जेमनी प्रज्ञा [बुद्धि] काम करती नथी, ते अनात्म (कुबुद्धिवाळा ) छे, प्र० – तेओ शा माटे संयममां खेद माने छे ? उ० - हुं हुं छे. अहीं दृष्टांत बडे समजावे छे के शाकारणे तेओ खेद पामे छे. [सूत्रमां 'से' शब्द 'ते' ना अर्थमां छे, 'अपि' शब्द 'च'ना अर्थमां छे, अने ते वाक्यना उपन्यास माटे हे ] कुंडना काचवानुं दृष्टांत.
कोइ काचो मोटा कुंडमां विनिविष्ट[प्रेमी] चित्तवाळो वनीने गृद्ध बनेलो अने पलाश (कोमळ पांदडांवडे) डंकायलो (तथा मूत्रमां प्राकृतना नियम प्रमाणे व्यत्यय करवाथी) उन्मार्ग एटले, उपर आववानां विवर (छिद्र) ने मेळवतो नथी; अथवा, जेनावडे उंचे कुदाय ते उन्मज्य छे. अथवा, उचे जवाय ते, उन्मार्ग छे, तेवो उन्मार्ग मेळवी शकतो नथी. अर्थात् जे कुंडमां ते काचवो रहेल छे, ते, पाणी उपर पiesi विगेरे छवाइ जवाथी बीलकुल ढंकाइ गयो छे. तेथी ते काचवो बहार आवी शकतो नथी. आ कहेवानो आ सार है:
कोइ मोटो कुंड होज] एक लाख जोजनना विस्तारवाळो छे, अने ते अतिशे शेवाळना झुंडी कठण बनी गयेला जाळोना समूहथी ढंकाइ गयलो छे, अने ते कुंडना जुदा जुदा रुपत्राळा करि मगर, माछलां, विगेरे जळचर जीवोनो आश्रय छे, तेना मध्य भागमां कुदरती एक फाटतुं बाकुं पडेलुं हतुं. जेमां फक्त काचवानी गरदन उंचे आवी शके; तेवा कुन्डमांथी एक काचवाए पोताना टोलांथी जुदां पडतां त्रियोगथी आकुळ बनीने आम तेम गरदन फेरवतां कोइपण रीते तेवी भवितव्यताना योगथी ते काणामांपो
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सूत्रम
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