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आचा
॥७३६॥
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तस्मिन् पोतु भगवान् दण्डी यज्ञोपवीतसंयुक्तः । ब्रह्मा तत्रोत्पन्नस्तेन जगन्मातरः सृष्टाः ।। ५ ॥ अदितिः सुरसङ्घानां दितिर सुराणां मनुर्मनुष्याणाम् । विनता विहङ्गमानां माता विश्वप्रकाराणाम् ॥ ६॥
सूत्रम कद्रुः शरीरमृपाणां मुलसा मात तु नागजातीनाम् । मुरभिचतुष्पदानामिला पुनः सर्व बीजानाम् ॥ ७ ॥ फक्त गहवर (पोलाण) ना आकारवाळु महाभूतोथी रहित हतुं तेमां अचिंत्य आत्मा विभु (इश्वर) पोते सुतेलो तप करे छे. ३5॥७३६॥ ते त्यां सुतेला विभुनी नाभीमाथी एक कमळ उत्पन्न थयु ते उगता मूर्यना भंडळ जेवू सोनानी कणिकावाळु रमणिक हतुं (४) ते पद्ममांथी भगवान दंड धारण करेल जनाइ पहेरेला ब्रह्मा उत्पन्न थयो तेणे जगतनी माताओने रची छे. (५)
देवताओना समूहनी माता अदिति छे, अने अमूरोनी माता दिति छे. मनुष्यनो मनु छे. पक्षीओनी माता विनता छे. आप माणे विश्वना प्रकारोनी माताओ ब्रह्माए बनावी.(६)
सरीसृपनी माता कद्र छे. अने नागनी जातीओनी माता सुलसा छे. तेम बधां चोपगां प्राणीनी मा सुरभि छे. अने सर्व बीजोनी माता इला छे. [आ प्रमाणे पुराणवादीओ बोले छे, तेम बीजाधर्मवाळा पण पोतानी बुद्धि प्रमाणे कल्पना करे छे, तेम समजवं18
बीजा मतवाळा केटलाक अनादि लोक माननारा छे जेमकेशाक्य मतवाला कहे छे हे भिक्षुओ! अनव दन [अनादि] आ संसार छे तेनी पूर्व कोटी जणाती नथी, निवारण सत्वोने अविद्या नथी, तेम जीवोनो उत्पाद नथी,
वळी अंतवाळो आ लोक छे जगतना प्रलयमां बधानो नाश थाय छे, तथा अंत विनानो लोक छे कारण के विद्यमान वस्तुनो सर्वथा नाशमो असंभव छे. कारण के एवं नथी [अर्थात् छेज] केटलाक तो बन्नेने पण माने छे ते बतावे छे.
हवामानावरकर
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