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गौतमनो मन-हे भगवन् ? बघा देवता समान रुपयाला छे ? -तेम नथी. प्र.-तेनुं शुं कारण ? आचा उ०-हे गौतम ! देवो चे प्रकारना छे. पहेला उत्पन्न थयेला अने पछी उत्पन यता तेमा जे पहेला उत्पन्न थयेल छे ते के-4)
सुत्रम 18 इक प्रांखा रुपवाळा अने जे पाछळथी उत्पन्न थया ते विशुद्ध सुंदर रूपवाला होय छे. तेज प्रमाणे लेश्या विगेरेमा पण जाण. ॥४४१H अने च्यवनना वखते तो वधाने बधु प्रांखुज होय छे. जेमके
॥४४१॥ मल्यम्लानिः कल्पवृक्ष प्रकम्पः श्री हीनाशो वाससां चोपरागः ।
दैन्यं तन्द्रा कामरागडभड़ो, दृष्टिभ्रान्तिāपयुश्चारतिश्च ॥१॥ माला करमाइ जाय छे कल्पवृक्ष कंपतुं देखाय छे, श्री अने हीनो नाश थाय छे कपडा उपरथी प्रेम उठी जाय छे.दीनता आवे । छे, आळस पाय छे, काम रागनो अने अंगनो भंग दाय छे, दृष्टिमां भ्रांति थाय छे. अने कंपारो थाय छे, अने वधु रमणिक ते अरमणिक लागे छे. (जेम, अहींयां मनुष्यने मरती वखते घरनी ऋदि के, वैभव उपरथी अणगमो थाय छे, तेम देवताने पण देवलोक छोडतां घणो खेद थाय छे, अने कल्पांत करे छे.)
जो, आवी रीते हे तो, नकी थयु के, वथा जीवो जरा मृत्युने वश छे तो, तेवू जाणीने पंडित मुनि श्रृं करे ? ते कहे छ:पासिय आउरपाणे अप्पत्तो परिवए, मंता य मइमं, पास आरंभजं दुक्खमिणंतिणच्चा,माई पमाई पुण एइ गम्भं, उवेहमाणो सहरूवेसु ऊज्ज़ माराभिसंकी मरणा पमुच्चई, अपमत्तो
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