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पवयंति य अणगारा ण य तेहि गुणेहि जेहिं अणगारा । पुढवि विहिंसाणा, न हु ते वायाहि अणगारा ॥२९॥ १।। आचा०४
___ अहिं केटलाक जिनेतर साधुवेशने लइने कहे छे के अमे अनागर छीए, प्रवजित छोए पण तेश्रो निर्वद्य अनुष्ठानरुप जे सूत्रम् ness त्यो अनागार करे छे, ते तेभी करता नथी. हवे से अनागार गुणमा केम नथी वर्तता, ते बताये छे. तेो ईमेशां मळद्वार
द्वार ॥ ९६ ॥ नया हाथ पग साफ करवामां पृथिवी जीवोने विपत्ति करनाग देखाय छे. तथा बीनी रीते पण मल द्वारने निर्लेप करवाने तथा | दुर्गध रहित करवाने शक्य छे. तेथी यती गुण कलापथी शून्य एवा अनगारोने बोळवा माथीजयुक्ति विना अनगारपणुं मळतुं नथी. आथी एम समजाव्यू के यती भोए पृथिवीकायने पीडा न थाय माटे हाथ धावा विगेरेमा पाटीनो उपयोग न करवो. अहिंआ पहेली गाथाना पहेला अर्थ भागवडे मतिना छे, पाछ्ली अडधी गाथाथी हेतु छे तथा उत्तर गाथाना अर्थ बडे साधर्म्य हष्टांत छे. के जेनेतर यतिपणानुं अभिमान करना छत्ता यतिमुणमा प्रवर्तता नथी. कारण के तेश्रो पृथिवीनी हिंसामा प्रवर्ते छे. अने जे जे पृथिवीनी हिंसामा प्रवर्ते छे, ते यतिगुणोमा प्रवर्तता नथी. जेमके गृहस्थीओ हवे दृष्टांतवाद्धं निगमन कहे छे. अणगारवाइणो पुढविहिंसगा निग्गुणा अगारिसमा। निहोसत्ति यमइला, विरइदुगंछाइ मइलतरा ॥१०॥
अमे यति छीए एम बोलीने पृथिवीकायनी हिंसा करनारा यतिओ ग्रहस्थाश्रमी जेवान के मामटो अर्थ कहे. छे. सचेतना पृथिवी छे. ए सानना अभावमा तेना समारंभवडे दोपवाळा छतां अमे निर्दोष छोए एम माननारा पोताना दोष जोवामां विमुख
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