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आचा०
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नाम स्थापना सुगम होवाथी तेने छोडीने द्रव्य पृथिवीनो निक्षेपो कहे छे.
द शरीर भविओ, भावेण य होइ पुढविजीवोउ। जो पुढविनामगोयं, कम्मं त्रेएइ सो जीवो ॥ ७० ॥ द्रव्य पृथिवी आगमथी अने नोआगमथी एम वे प्रकारे छे. आगमथी जाणनारो पण, तेनो तेमां उपयोग नथी, अने आगमथी पृथिवी पदार्थने जाणनारो जीव, शरीर मूकी गयेलो ते ज्ञ शरीर अने भविष्यमां जाणशे ते बाळक विगेरे भव्य शरीर, आ वे शिवाय द्रव्य पृथिवी जीव, एक भविक, बद्ध आयुष्क तथा अभिमुख नामगोत्र छे. ए ऋण भेदों छे. आज वर्णन दशवैकालिकमां, वृक्षना निक्षेपामा उपाय छे. पाने ५१ मे जो.
भाव पृथिवी जीव, जे पृथिवी नामादिकर्म उदयमां आयु होय तेने वेदे छे. ( निक्षेपद्वार पूरुं थयु हवे प्ररूपणाद्वार कहे छे. दुविहाय पुढवि जीवा, सुहुमा तह बायरा य लोगंमि। सुहुमा य सवलोए, दोचैव य बायर विहाणा ॥ ७१ ॥
पृथिवी कायना भेद छे. सूक्ष्म अने बादर. ते आ प्रमाणे, सूक्ष्म नाम कर्मना उदयश्री सूक्ष्म, अने बादर नामकर्मना उदयथी बादर, कमना उदद्यथी तेममुं सूक्ष्म बादरपणुं छे. इन्द्रियोथी न देखाय ते सूक्ष्म, अने इन्द्रियोथी देखाय ते बादर, व्यवहाraf alt अने आमचं एक बीजानी अपेक्षाए नानां मोटां गणाय पण ते अहिं न लेवु. दावडामां ठांसी ठांसीने मरेला गंधना अत्रयवोने छुटा फैक्या होय अने तेमांथी सुगंधी उडे अने दाटो खाली पड़ जाय पण देखाय नहि तेनी माफक सर्व लोक | व्यापि ठांसी ठांसीने भरेला सूक्ष्म प्रथिवीकाय छे अने वादर, ते मूळ भेदथी वे मकारे छे. ते बतावे छे.
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सूत्रम्
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