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आचा०
॥श्रीजिनाय नमः॥ ॥ श्रीआचारांगसूत्रम् ॥ ( मूळ अने शीलांकाचायें रचेली टीकार्नु भाषान्तर )
(भाग पहेलो) छपावी प्रसिद्ध करनार-पण्डित श्रावक हीरालाल हंसराज (जामनगरवाळा)
12 जयति समस्त वस्तु पर्याय विचारा पास्त तीर्थिकं । विहिते कैक तीर्थ नय वाद समूह वशात्प्रतिष्ठितम्।
बहुविधभङ्गिसिद्ध सिद्धान्त विधूनित मलमलीमसम् । तीर्थमनादि निधनगतमनुपममादिनतंजिनेश्वरैः१
जेणे वधी वस्तु तथा तेना पर्यायना विचार बतावना बढे बीनां तीर्थी (मन्तव्योने दर की छे अने एके एक तीर्थना नयवादना । समृहने लीधे प्रतिष्ठा पामेल भने बहु प्रकारे भंगी बतावया वडे सिद्ध करेला सिद्धान्तथी, जेणे कुमार्ग रुप मळनी काळाश घोड
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