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अने अहि आठ प्रकारे उत्तरभेद सहित बतावेल हे अने तेज आठ प्रकारना जन्ममा सर्वे संसारी सजीवो समाय छे आ आठ आचा०प्रकारना जन्म विनाना कोइ संसारी जीव नथी. आ त्रस जीवो आठ प्रकारनी योनिने पामे छे छतां पण बघा लोकमां देखाता सूत्रम्
दिवाळक स्त्री पुरुष विगेरे माणसोने प्रत्यक्ष देखाय तेवाज छे “सन्तिच" प शब्दथी सोनुं त्रणे काळमा रहेवा पणुं मसिद्ध थाय छे। ॥१९॥ अर्थात कोइ काळसंसार (जगत) सकायथी रहित रहीज शकतो नथी, तेज बतावे छे 'एस संसारोति पचति' आ अहंज ॥१९२॥
विगेरे पाणी ओनो समूह छे, तेज संसार एम कहेवाय छे भाम कहेबाथी प्रसकायोनो उत्पत्ति प्रकार आधी बीजो कोइ नथी एम। ताब्यु आ आठ प्रकारना भूत समूहमां कोनी उत्पचि थाय छे, ते बतावे छे.
मंडस्सावियाणओ (सु. ४९) द्रव्य अने भाव एम चे प्रकारे मंद ले, तेमां जे अत्यन्त स्थूल अथवा अत्यन्त कृश थयेला होय, ते द्रव्य मंद कडेवाय. अने/ जेनी पधारे बुद्धि नथी एवो बाल तथा जेनी बुद्धि कुशाखो बांचवाथी मलिन थइ होय ते भाव मंद कहेवाय (कारण के नठारां शास्त्रो वाचवाथी बुद्धि हणाइ जाय छे तेथी बुद्धि विनाना चाळकना जेवुज वर्तन करे छे केमके तेने सारी बुद्धि होती नयी) अहिं ।। भावमदनी साथे प्रयोजन के जेने वधारे चुदि नथी, एका बाळने चधारे कई खबर न पडवाथी हित काम करवा तण अहित काम छोडवाना पपनमा तेमनु मन शून्य होवाथी जे इमणां आपणे आठ प्रकानो संसार कही गया, ते तेमने, अर्थात् भार मंदने धाव छे, जो आम छे तो पछी भुं कर, ते कहे छे.
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