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[ २ ] अधिक विलम्ब अनपेक्षित है। सब कार्य करने के लिए हृदय से तैयार होकर तब तक जुटे रहें जब तक कि लक्ष्य की ठीक ठीक प्राप्ति न हो जावे । ___ कुछ विद्वानों ने स्वप्रेरणा से इस उत्तरदायित्त्व का अनुभव करके स्वयं वहन किया है। इस कठिन परिश्रम के लिए वे बधाई के पात्र हैं।
इस ग्रन्थ के लेखक वैद्यराज श्री रघुवीरप्रसाद त्रिवेदी आयुर्वेदीय शिक्षा की प्रमुख संस्थाओं में से एक में अध्यापक हैं। उन्हें प्राध्यापन का पर्याप्त अनुभव है। वे विद्यार्थियों की वर्तमान आवश्यकता को समझते हैं। इसी से प्रेरणा लेकर तथा साथ ही उपागण्य कर्मिष्ठता, प्रशंसनीय धैर्य तथा विस्तृत पाण्डित्य का परिचय देते हुए चिकित्सक संसार के समक्ष 'प्रकृति विकृतिविज्ञान' पर एक विशाल ग्रन्थ उपस्थित करने में वे सफल हुए हैं। इस प्रकार उन्होंने चिकित्सात्मक शिक्षा के निमित्त अपना भाग गौरव के साथ चुकाया है।
यह पुस्तक न केवल आयुर्वेदिक छात्रों के लिए ही लाभप्रद होगी अपि तु आधुनिक विज्ञान के लिए भी उपादेय होगी; क्योंकि आधुनिक विज्ञान के सम्पूर्ण मैडीकल कालेजों को कुछ वर्षों में ही हिन्दी भाषा के माध्यम द्वारा शिक्षा प्रदान करनी पड़ेगी। यह अपने आदर्श की पहली रचना है। यह उन कठिन परिस्थितियों में प्रस्तुत की गई है जिनका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है । अर्थ और व्याख्याएँ आगे चलकर सुधारनी या पूर्णतया बदलनी पड़ सकती हैं जो इस प्रकार के सभी प्रकाशनों में सामान्यतया करना पड़ता है । ___ लेखक के लिए इससे बढ़ कर गौरव, अभिनन्दन तथा सन्तोष की क्या बात हो सकती है कि उसका यह प्रथम प्रयत्न इस विषय पर किए जाने वाले भविष्यत्कालीन प्रगतिशील प्रकाशनों का निश्चित रूप से महत्त्वपूर्ण एवं उपादेय आधार बन कर रहेगा।
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