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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra For Private and Personal Use Only (भावप्रकाशोक्त लक्षणसमूह ) ७ | श्लेष्मोल्बणहीनवातमध्य- प्रतिश्याय, छर्दि, आलस्य, अल्पशूल, कटितोद, मध्यभाग में दाह और शूल, भ्रम, अत्यधिक पित्त सन्निपात (वैदारिक तन्द्रा, अरुचि, अग्निमान्ध। क्लम, शिरोवस्तिमन्याहृदयवाणी में पीडा, प्रमीलक, श्वास, कास-हिक्का, सन्निपात) जाड्य, विसंज्ञता, रोग शान्ति के निकट कर्णमूल में पिडिका उत्पन्न होती है जो कष्टसाध्य होती है। ८ । पित्तोल्बणहीनवातमध्य- हारिद्रमूत्र, हरिद्रनेत्रता, दाह. हृद्दाह, यकृत्प्लीहान्त्रफुफ्फुसपाक, मुखगुद से पूयरक्तनिर्गमन, कफसन्निपात ( याम्य- तृष्णा, भ्रम, अरुचि ।। । शीर्णदन्तता। सन्निपात) ९ वातोल्बणहीनपित्तमध्य- | शिरःशूल, वेपथु, श्वास, प्रलाप, प्रलाप, श्रम, सम्मोह, कम्प, मूर्छा, अरति, भ्रम, मन्यास्तम्भ । कफसन्निपात (क्रकच- । छर्दि, अरुचि । सन्निपात) १० श्लेप्मोल्बणहीनपित्तवात- शैत्य, गौरव, तन्द्रा, प्रलाप, । अन्तर्दाह, वक्त शक्ति का अभाव, मुखमण्डललाल, पार्श्व में घोरशूल, मध्यसन्निपात (कर्कटक अस्थिशूल, अतिशिरःशूल। हृदय में शूल, प्रमीलक, श्वास, हिक्का, दग्धजिह्वा खरस्पर्शा, गलशूकावृत, सन्निपात) मलमूत्र त्याग का ज्ञान नहीं, कपोतवत् कराहना, कफघिर जाना, ओठ मुखतालुशोष तन्द्रा, निद्रा अधिक, ओजहीन, रक्तष्ठीवनादि । ११ | पित्तोल्बणहीनकफमध्य- पर्वभेद, अग्निमान्य, तृष्णा, ! मोह, प्रलाप, मूर्छा, मन्यास्तम्भ, शिरोग्रह, कास, श्वास, भ्रम, वातसन्निपात (पाकल दाह, अरुचि, भ्रमः। तन्द्रा, संज्ञानाश, हृदिव्यथा, छिद्रों से रक्तागम, सरक्तस्तब्धनेत्रता । सन्निपात) १२ वातोल्बणकफहीनपित्तम- श्वास, कास, प्रतिश्याय, मुख- प्रलाप, श्रम, मोह, कम्प, मूर्छा, अरति, भ्रम, एकपक्षवध । ध्यसन्निपात (संमोहक स०) शोष, अतिपार्श्वशूल। १३ वातपित्तकफोल्बण सन्नि परमोच्छ्वास, स्तब्धाङ्ग, स्तब्धलोचन। । पात(कूटपालकसन्निपात) ज्वर www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 388
SR No.020004
Book TitleAbhinav Vikruti Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghuveerprasad Trivedi
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1957
Total Pages1206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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