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[ ६ ] इस पुस्तकको मंगवा कर अवश्य पढ़े। ऐसा आवश्यक और उपयोगी ग्रन्थ भंट मिलना असम्भव है।
पाठकोंसे हमारा अन्तिम यह निवेदन है, कि प्रस्तुत पुस्तकके सम्पादन और मुद्रण कार्यमें अनेक दोष छूट गये हैं। किसी किसी स्थल पर अक्षम्य दोष भी रह गये हैं। जिनके रह जानेसे हमें अत्यन्त दुःख हैं। ऐसा होनेका कारण हमारे स्वास्थ्य की अस्वस्थता एवं समयको शीघ्रता है । आशा है, पाठक गण हमारी इन कठिनाइयोंकी ओर खयाल करते हुए हमें क्षमान्वित करेंगे। शुभमस्तु । कलकत्ता
आपका२०१, हरिसन रोड़,
काशीनाथ जैन। ता. ३०.७-१९२७
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