________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
वृहद-अतिचार । इंधण अणसोध्यु जाल्यु। ते माँहि साप, कानखजूरा, सुलहला, मांकड, जूआ, गोगिंडा, साहतां मूआ, दूखव्यां, रूडे थानक न मूक्या। कीडी, मकोडी, उदेही, घीवेली, कातरा चडेली, पतंगियां, देडकां, अलसिया, ईली, कूति, डांस, मसा, बगतरा, माखी प्रमुख जे कोई जीव विणठा, चापिया, दूहव्या। माला हलावतां पंखी, काग, चिडकलानां इंडा फूटां। अनेरा एकेंद्रियादिक जिके जीव विणठा, चाप्या, दूहव्या। हालता चालतां अनेरुं कांइ काम काज करतां, विध्वंसपणु कीधु, जीव-रक्षा रूडे न कीधी। संखारो सूकव्यो। सल्या धान तावडे दीधां, दलाव्यां, भरडाव्यां। खाटला तावडे झाटक्या, मूक्या, मूकाव्या। जीवाकुल भूमि लीपावी। वाशी गार राखी, रखावी। दलणे, खांडणे, लीपणे रूडी जयणा न कीधी। आठम चउदशना नियम भांग्या। धूणी करावी।
For Private And Personal Use Only