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अभय-रत्नसार। ७३३ कटहल-फनस-दर्शन-विरुद्ध (मांसपेशी-सी मालूम पड़ती
है) होनेके कारण वर्जित है। कद्द, ---मोटाफल होनेके कारण लोग नहीं खाते। पेठा-लोग इसे कभी-कभी पशुकी कल्पना कर देवीके
सामने बलि चढ़ाते हैं। (औषधके लिये हर्ज नहीं है) कड़वी तुम्बी-कहीं जहरी निकली तो जान ही ले लेती है। कंटोला, । इनमें कीड़े पड़ जाते हैं, किसीमें जीव बहुत करेला, | होते हैं, तो किसीमें बीज। इसलिये इनका टिण्डा, त्याग ही उचित है। टमेटा, कंकोड़ा, महुआ- इसीके फलसे शराब चुलायी जाती है, इसलिये
वर्जित है। बहुतसे त्रस जीवोंकी हिंसासे बचना हो, तो नीचे लिखी वनस्पतियोंका और भी त्याग करना उचित है,
श्रीफल ( बेल )-का फल या मुरब्बा अथवा बाँसका आचार वर्जित है, स्त्रियोंके लिये तो खास कर मना है। इनसे रोग भी उत्पन्न होते हैं।
फागुन सुदी १५ से कातिक सुदी १५ तक जिनकी भानी या पत्तोंका साग जीव हिंसाके कारण खाना मना है उनके नाम__ मेथीका साग, ताँदड़ी, धनिया, पुदीना, भिंडी, केला, नागरबेल, अरबी, कन्दा, सूरन, नीमके हरे पत्त, पोईका साग, इलाय
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