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अभय रत्नसार ।
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१३- भूमिकाय ( पृथ्वीकाय ) सब तरहकी मिट्टी, खड़िया, खार, नमक, आदि अभक्ष्य हैं; क्योंकि इनमें असंख्य जीव होते हैं। इनके बदले बहुत सी ऐसी चीजें काममें लायी जा सकती हैं. जो अचेतन हैं । खार या भूतड़ा नहाने धोने के काममें लाते हैं, वे उसके बदले में सोड़ा, आँवला, कंकोल, साबुन आदि काममें ला सकते हैं।
मिट्टी खाने से पेटके असंख्य जीव मर जाते हैं और पाण्डु, आमवात, पित्त और पथरी रोग होते हैं । यदि भूल से खाने-पीने की चीजों में धूल या कंकड़ी आ जाय, तो उसका दोष नहीं लगता, तथापि उपयोग रखना जरूरी है ।
कच्चा सचित्त नमक श्रावकको त्याग करना चाहिये । अचित्तका व्यवहार करना चाहिये । दाल और शाकमें डाल देनेसे नमक सचित्तसे अचित्त हो जाता है, परन्तु मसाले या औषधिमें अचित्त नमकका व्यवहार किया जा सकता है ।
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