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६८० विधि-संग्रह। लघुनीति और बड़ी नीति परठनी हो तो पहिले "अणुजाणह जस्स गो” कहे, पीछ से तीनवार 'वोसिरे' कहे। मंदिरमें जाकर उपाश्रयमें आवे और लघुनीति बडिनीति करके पीछे उपाश्रयमें आवे। निद्रा या प्रमाद आगया हो तो इत्यादि कार्योंमें इरियावहिय पढ़े। मंदिरसे उपाश्रयमें
आकर गुरुका संयोग होतो व्याख्यान सुने। पीछे पौनो प्रहर दिन चढ़े बाद उग्घाडा पोरसी भणावे यथाः-खमा०इच्छा० उग्घाडापारसी ? इच्छ,कह कर खमा०इरियावहिय पढ़े। पोछे ख्मा इच्छा० उग्घाडा पोरसी मुहपत्ति पडिलेहुँ ? इच्छ, कहकर मुहपत्तिपडिलेहण करे॥पीछे कालवेलामें मंदिरमें अथवा उपाश्रयमें विधिके अनुसार पंचशक्रस्तवसे देववंदन करे। पीछे जल आदि पीनेकी इच्छा हो तोपचक्खाण पारनेकी विधि के अनुसार पचवखाण पारके जल आदिक परिभोग करे। पीछे चौथे पहरमें संध्यापडिलेहणकी विधिके अनुसार पडिलेहण करे। रात्रिका पोसह लेनेवालाभी पोसहकी
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