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अभय रत्नसार। ६७३ इच्छाकारेण० ओहि पडिलेहण संहिसा हूँ? इच्छ, कहकर खमासमण-पूर्वक इच्छाकारेण.
ओहि पडिलेहण करू?" इच्छ', कहकर बाद कम्बल, वस्त्र आदिकी पडिलेहण करे। इसके बाद पौषधशालाको प्रमार्जन करके कड़े-कचरेको जयणासे एकान्त स्थानमें रखदे। बाद “इरिया बहिय" पढ़े। इसके बाद खमासमण-पूर्वक इच्छाकारेण० सज्झाय संदिसाहुं ? इच्छ, कहकर खमा० इच्छा० सज्झाय करूं ? इच्छ, कहकर नवकार सहित पोसहकी सज्झाय करे, और उपदेश मालाका श्रवण करे।
__संध्या पडिलेहण विधि । पहले खमासमण देकर इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! बहुपुड़ि पुन्ना पोरिसी इच्छ, कहकर खमासमण देवे, बाद “इरिया बहिय” पढ़े। वाद खमासमण-पूर्वक इच्छाकारेण पडिलेहण करूं? इच्छ, कहकर, बाद फिर खमासमण देकर इच्छाकारेण० पौषधशाला प्रमार्जन
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