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विधि-संग्रह। रे तिण अधिकेरो दुख हुओ ॥ ( उल्लालो) दुख हुवो देखी रोहिणी हिव कहै इम प्रीतम भणी, ए नार नाचे अने कूदै कहो किम मोटा धणी ॥ एहवो नाटक आज तांई में कदे देख्यो नही, मुझने तमासो अने हासो देखतां आवै सही॥ १०॥ (चाल ) इण वचनै रे रीसाणो राजा कहै, तं पोपण रे परतणी पीडा नवि लहै ॥ एदुखणी रे पूत्र मुअ तड पड करै, जब वीतेरे वेदना जाणीजै तरै, ॥ ( उल्लालो ) जाणे तरै तं वात दुखनी गरबगहली कामिनी, इम कही राजा हाथ झाल्यो तेहना बालकभणी ॥ सातमा भंयथी तलै नाख्यो तिसै हाहारव थयो, रोहणी हसती कहै प्रीतम पुत्र नीचे किम गयो॥ ११॥ (चाल) हिव राजा रे पुत्रतणे शोकै करी, थयो मुरछित रे रोवै अति आंख्या भरी ॥ पडतो सुत रे सासणदेवत झालियो, कंचनमय रे सिंहासण बैसारियो ॥ ( उल्लालो) बैसारियो कर जोड आगे करै नाटक देवता, गोदे खिलावै केइ हसावै
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